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लाल किले पर खालिस्तान का झंडा फहराने की बात कहने वाले SFJ संगठन का सच क्या है? जानें किसानों से क्या संबंध है?
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इनाम की घोषणा करते हुए एक वीडियो में SFJ के नामित आतंकवादी गुरपवंत सिंह पन्नू ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के साथ किसानों के विरोध प्रदर्शन को जोड़ने की कोशिश की।
गुरपवंत सिंह पन्नू ने कहा, 26 जनवरी आ रहा है और लाल किले पर एक भारतीय तिरंगा है। 26 जनवरी को तिरंगा हटाओ और वहां खालिस्तान का झंडे लगा दो।
SFJ को भारत में 2019 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर भी इस संगठन ने ऐसी ही एक अपील की थी, जिसके चलते पंजाब के कुछ इलाकों में लोगों ने डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस में खालिस्तानी झंडा भी फहरा दिया था। इन लोगों के खिलाफ तब IPC की विभिन्न धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था।
यह पहला मौका नहीं है जब SFJ ने किसान आंदोलन में शामिल लोगों को पैसों का लालच दिया हो। सितंबर में भी SFJ ने घोषणा की थी कि उनकी ओर से आंदोलन में शामिल लोगों और पंजाब के किसानों को दस लाख अमरीकी डॉलर बांटे जाएंगे।
SFJ की अपील पर किसानों का कहना है कि विदेश में बैठ कर कोई क्या बोलता है उससे हमारा कोई लेना देना नहीं है। हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करेंगे।
साल 2011 में कमलनाथ सहित कांग्रेस के कुछ नेताओं पर SFJ ने 1984 के सिख विरोध दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया और यूएस कोर्ट में अपील की। हालांकि अदालत ने मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस केस का अमेरिका से कोई लेना देना नहीं है।
सितंबर 2013 में इस ग्रुप ने सोनिया गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सिख विरोध दंगे में शामिल कुछ नेताओं को बचाया है। सोनिया गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई, लेकिन जून 2014 में कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया।
फरवरी 2014 में SFJ ने मनमोहन सिंह के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन का मामला दायर किया। उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों पर मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र आयोग को एक रिपोर्ट भी सौंपी।
SFJ ने 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी वे अमरीका में मुकदमा किया था। इस ग्रुप ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को तो ऐसे ही मुकदमे के चलते 2016 में अपना कनाडा दौरा रद्द करना पड़ा था।