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#Kinnaurlandslide: इतने गुस्से में क्यों हैं ये ऊंचे-ऊंचे पहाड़, इसके पीछे छुपी है एक बड़ी इंसानी 'पोल'
शिमला. हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में भूस्खलन(Kinnaur landslide) ने पर्यावरणविदों (environmentalists) से लेकर सरकार तक को सोचने पर विवश कर दिया है। किन्नौर हादसे में शुक्रवार को 2 और बॉडी मिलीं। इस लैंडस्लाइड में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। आखिर पहाड़ क्यों दरक रहे हैं? इस पर लोकल न्यूज वेबसाइट himachalabhiabhi.com ने एक आंकड़ा दिया है। इसके अनुसार अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और विकास के लिए पहाड़ों को काटना इन हादसों की वजह बनता जा रहा है। अकेले किन्नौर क्षेत्र में सतलुज नदी के बेसिन में 22 पनबिजली प्रोजेक्ट्स का निर्माण हुआ है। इसके अलावा सड़कों को चौड़ा करने के लिए भी पहाड़ खोखले किए गए। पिछले 8 साल में हिमाचल प्रदेश में 428 लोगों की इस हादसे में जान जा चुकी है।
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हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बुधवार को हुए भूस्खलन(landslide) के बाद से इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) लगातार रेस्क्यू चला रही है। इस भयंकर प्राकृतिक आपदा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहाड़ी के नीचे दबकर गाड़ियां पूरी तरह पिचक गईं। ITB के अनुसार, उसकी 17, 18 और 43 बटालियंस(Battalions) रेस्क्यू कर रही हैं। शुक्रवार को यहां 2 और बॉडी मिलीं। पहला फोटो साभार: ट्रिब्यूनइंडिया
यह तस्वीर घटनास्थल निगुलसारी के पास की है। यहां Indian Army की टीमें मेडिकल और इंजीनियर टुकड़ियों के साथ NDRF और ITBP कर्मियों के साथ समन्वय में बचाव अभियान चला रही हैं। लैंडस्लाइड के बाद से लगातार रेस्क्यू चलाया जा रहा है। आशंका है कि मलबे में अभी और भी लाशें दबी होंगी। इस घटना ने लोगों को चिंतित कर दिया है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में हर साल ऐसे हादसे होते हैं। हर बार बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है। स्थानीय लोग और वैज्ञानिक मानते हैं कि पहाड़ों को दरकने से रोकने वैज्ञानिक आधार पर कदम उठाए जाने चाहिए। अगर सिर्फ जुलाई महीने की बात करें, तो तीन बड़े हादसे हुए। इन लैंडस्लाइड्स में 68 लोगों को जान गंवानी पड़ी।
यह तस्वीर घटना स्थल की है, जहां मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने राहत और बचाव कार्यों में आईटीबीपी, एनडीआरएफ, सीआईएसएफ, राज्य पुलिस कर्मियों और स्थानीय लोगों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दीर्घकालिक समाधान के रूप में क्षेत्र का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भी करेगी।
राज्य आपदा प्रबंधन निदेशक सुदेश कुमार मोख्ता के मुताबिक जब किन्नौर में हादसा हुआ, तब एक टाटा सूमो टैक्सी फंस गई थी। जब उनके ऊपर पहाड़ टूटा, तो वे बाहर नहीं निकल सके। जबकि हिमाचल सड़क परिवहन निगम(HRTC) की बस रिकांग पियो से शिमला होते हुए हरिद्वार जा रही थी। इस हादसे की सूचना बस ड्राइवर के मोबाइल के जरिये कंडक्टर ने दी थी।