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अगर किसी प्रोडक्ट पर ISO 9001 लिखा है, तो इसका मतलब समझते हैं, जानिए इसकी कहानी

कई बार आपने दुकानदारों को कहते सुना होगा कि उनके प्रोडक्ट पर आंख मूंदकर भरोसा किया जा सकता है। दुनिया में प्रोडक्ट की क्वालिटी को लेकर हमेशा दुविधा की स्थिति रही है। ब्रांड कंपनियां कस्टमर्स को श्योर करती हैं कि उनका प्रोडक्ट क्वालिटी के लिहाज से अच्छा है। आपने कई कंपनियों और उनके प्रोडक्ट पर ISO 9001 लिखा देखा होगा। यह क्वालिटी और सर्विस बताने वाला सर्टिफिकेट है। जिस कंपनी के पास यह सर्टिफिकेट होता है, उसका मतलब उसके प्रोडक्ट्स सेवाओं और क्वालिटी के लिहाज से अच्छे होते हैं। 23 फरवरी, 1947 को अधिकृत तौर पर ISO (International Organization for Standardization) की शुरुआत हुई थी। आज इसके 165 देश सदस्य हैं। इसमें भारत भी है। ISO सर्टिफिकेट पाने में रेलवे भी पीछे नहीं होता। आइए जानते हैं ISO की कहानी...

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Asianet News Hindi
Published : Feb 23 2021, 10:04 AM IST| Updated : Feb 23 2021, 10:09 AM IST
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ISO एक अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण(Standardization) है। हालांकि यह एक गैर सरकारी संगठन है, लेकिन यह किसी कंपनी के प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और सेवाओं के अच्छे होने का भरोसा दिलाता है। जो कंपनी इस संगठन की सदस्य होती है, उसकी नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वो अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और सेवाओं पर गंभीर रहे।

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ISO मानक के तहत कई प्रकार के सर्टिफिकेट होते हैं। ये हैं-ISO 9000, ISO 9001, ISO 9001:2015। इन सबका मकसद प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और सेवा को बेहतर बनाना है। समय के साथ ये अपडेट होते हैं।

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ISO विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों के लिए अलग-अलग होते हैं। इसमें एनर्जी मैनेजमेंट से लेकर सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी,  मेडिकल उपकरण आदि तक के प्रोडक्ट्स और सेवाएं शामिल हैं। इन क्षेत्रों से जुड़ीं कंपनियों  को ISO के मानकों और शर्तों को पूरा करना होता है। हर सर्टिफिकेट के लिए अगल-अलग स्टैंडर्ड तय किए गए हैं।

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कई लोग ISO और ISI को एक समझ लेते हैं, लेकिन ये अलग हैं। ISI मार्क सिर्फ प्रोडक्ट्स की क्वालिटी का भरोसा दिलाता है। इसका पूरा नाम है- इंडियन स्टैंडर्ड्स इंस्टीट्यूशन। यह संस्था 1955 में बनी थी। हालांकि 1987 में इसका नाम बदला। अब इसे ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) या भारतीय मानक ब्यूरो कहा जाता है। इलेक्ट्रिक आइटम्स जैसी चीजों पर ISI मार्क लगाना अनिवार्य है, क्योंकि इनकी खराब गुणवत्ता जीवन को खतरे में डाल सकती है। ISO किसी कंपनी द्वारा उसके प्रोडक्ट को बनाने औ फिर उसकी सर्विसेज देने की प्रक्रिया को सर्टिफाई करता है। यानी प्रोडक्ट को बनाते समय सेफ्टी आदि का ध्यान रखा गया या नहीं। बाद में कंपनी कस्टमर्स को सर्विस दे पा रही है या नहीं।
 

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आजकल सरकारी निविदाओं और प्रस्तावों में भी ISO सर्टिफाइड कंपनियों को ही स्वीकारा जाता है। इसकी वजह आगे जाकर कंपनियां अपनी सेवाओं में कोई कमी न रखें। जिस कंपनी के पास ISO सर्टिफिकेट होता है, उसे सारी दुनिया में अहमियत मिलती है।

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