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सावधान! आपके पास भी आया हो इस शख्स का मैसेज तो कर दें डिलीट, इसकी बातों से फैल सकता है कोरोना
मुंबई. लॉकडाउन के बाद बांद्रा में रेलवे स्टेशन के सामने हजारों की संख्या में जुटे प्रवासी मजदूर एक अफवाह के बाद वहां पहुंचे थे। अफवाह फैलाने वाले शख्स को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। आरोपी शख्स का नाम विनय दुबे है। पुलिस के मुताबिक उसे मंगलवार की रात नवी मुंबई में ऐरोली से पकड़ा गया।
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कौन है विनय दुबे- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विनय सामाजिक कार्यकर्ता है। उनसे सोशल मीडिया अकाउंट्स को खंगालने पर पता चलता है कि उसके संबंध एनसीपी से भी हो सकते हैं। विनय ने एक ट्वीट में बताया है कि उसके पिता ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए महाराष्ट्र सरकार को अपने जीवन की सारी पूंजी दान कर दी।
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सोशल मीडिया के जरिए फैलाई अफवाह- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विनय ने सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाई। उसने अपनी फेसबुक वॉल पर वीडियो अपलोड किया था, जिसमें उसने महाराष्ट्र सरकार से मांग की थी कि वह प्रवासी कामगारों के लौटने का इंतजाम करे, जो कोरोनावायरस के कारण जारी लॉकडाउन में फंसे हुए हैं। वह वीडियो में कहता है कि प्रवासी कामगार अपने पैतृक गांव जाना चाहते हैं।
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ट्वीट के जरिए भी भड़काने की कोशिश- विनय ने फेसबुक के अलावा ट्वीट करके भी भड़काने की कोशिश की। उसने ट्वीट किया था कि अगर प्रवासी मजदूरों को उनके गांव भेजने के लिए 18 अप्रैल तक ट्रेन की व्यवस्था नहीं की गई तो एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
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पुलिस को शक है कि उसके सोशल मीडिया के मैसेज के चलते ही मंगलवार को हजारों की संख्या में लोग रेलवे स्टेशन के सामने इकट्ठा हो गए। इनमें से ज्यादातर लोग बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के थे।
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पुलिस को शक है कि विनय के वायरस मैसेज की वजह से 18 अप्रैल को मुंबई में भारी भीड़ जुट सकती है। ऐसे में एहतियात के तौर पर प्रशासन भी पूरी तैयारी में है।
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बांद्रा में हजारों की संख्या में जुटे प्रवासी मजदूरों के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था, हम गंभीरता से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया कि लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाया जाएगा। मैंने भी यही सलाह दी थी और इसके लिए पीएम मोदी का आभार।
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बांद्रा घटना पर उद्धव ठाकरे ने कहा, आप (प्रवासी मजदूर) क्यों परेशान हो रहे हैं? किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। मजदूरों के खाने का इंतजाम कर रह रहे हैं। लॉकडाउन से घबराने की जरूरत नहीं है। एक बार लॉकडाउन खुलने दीजिए। उसके बाद हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आप अपने घर जा सके। हम 6 लाख प्रवासियों को खाना और आश्रय दे रहे हैं। वे थोड़े चिंतित हैं। मैं उनसे अपील करना चाहता हूं, हमारे साथ रहें। हम इससे मिलकर लड़ेंगे। हम हमारा ख्याल रखेंगे।
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