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इस बार Navratri पर देवी पंडालों में देखें tragedy, इधर Corona ने रावण को संकट में डाल दिया
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उत्तर 24 परगना (West Bengal) में केस्तोपुर कानन पोस्चिम आदिबासिब्रिंदा समिति( Kestopur Kanan Poschim Adhibasibrinda Committee) ने एक दुर्गा पूजा पंडाल की स्थापना की है, जिसमें तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की कठिनाइयों को उजागर किया गया है, जिनका सामना उन्होंने 'अम्फान' और 'यस' चक्रवात के दौरान किया था। न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए एक सदस्य शुभयान चौधरी ने कहा कि इस साल समिति 'प्रकाश किरण' नामक विषय के साथ आई है जिसका अर्थ है 'सूर्य की किरणें'। यह विषय उन लोगों के जीवन के इर्द-गिर्द घूम रहा है, जिन्होंने 'अम्फान' और 'यस' चक्रवातों के दौरान कठिनाई का सामना किया। समिति ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग तूफान के कारण कैसे प्रभावित हुए।
यह मामला पश्चिम बंगाल का है। इस बार यहां के देवी पंडालों में किसान आंदोलन दिखाया जा रहा है। एक आयोजक ने ANI को बताया, “हमारे कलाकारों ने भी सोचा कि किसान विरोध पर पंडाल बनाना चाहिए। यह सिर्फ देश में ही नहीं पूरी दुनिया में इस पर चर्चा है। हमने सोचा कि यह सही समय है।”
यह मामला तेलंगाना का है। हैदराबाद में रसोई गैस (LPG gas cylinder)महंगी होने पर जमीकुंटा की महिलाओं ने नवरात्र पर सिलेंडर के इर्द-गिर्द गरबा खेलकर अपना विरोध जताया था।
यह मामला यूपी के मेरठ से जुड़ा हुआ है। कोरोना निर्देशों का पालन करते हुए इस साल भी रावण दहन की अनुमति मिली है। यहां रावण का पुतला बनाने का काम मुस्लिम समुदाय के लोग 3-4 पीढ़ियों से कर रहे हैं। रामलीला में भी 2-3 कलाकार मुस्लिम समुदाय से हैंख् जो इसमें भाग लेते हैं। श्री राम कमेटी, मेरठ के अध्यक्ष पवन गर्ग के कहते हैं कि कोरोना के कारण इस बार भी त्यौहार पर असर पड़ा है।
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यह मामला गुजरात का है। कोरोना की वजह से अहमदाबाद में रावण के पुतले बनाने वालों को कम ऑर्डर मिल रहे हैं। रावण के पुतले बनाने वाले एक व्यक्ति ने ANI को बताया, "कोरोना की वजह से हम लोगों ने इस बार 20-22 पुतले बनाए हैं। पहले हम 90-95 पुतले बनाया करते थे। इस बार कोरोना की वजह से हमें कम ऑर्डर मिले हैं।"