MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • National News
  • क्या होते हैं ग्रीन पटाखे, आम आतिशबाजी से कैसे हैं अलग? जानिए पटाखों को लेकर किस राज्य ने बनाए क्या नियम

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे, आम आतिशबाजी से कैसे हैं अलग? जानिए पटाखों को लेकर किस राज्य ने बनाए क्या नियम

Green Crackers: दिवाली में अब सिर्फ 3 दिन रह गए हैं। ऐसे में हर तरफ आतिशबाजी और प्रदूषण की चर्चा होने लगी है। दिवाली से पहले ही कई राज्यों में जहां प्रदूषण के चलते पटाखों को बैन कर दिया जाता है तो कहीं पर इसके लिए कुछ घंटों की ही परमिशन दी जाती है। देश में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इस बार लोगों को ग्रीन पटाखे चलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। यही वजह है कि कई राज्यों ने अपने यहां सिर्फ ग्रीन पटाखे चलाने की ही परमिशन दी है। आखिर क्या हैं ग्रीन पटाखे और किस तरह ये आम आतिशबाजी से अलग है?

3 Min read
Ganesh Mishra
Published : Oct 20 2022, 02:07 PM IST| Updated : Oct 20 2022, 02:44 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
110

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि ग्रीन पटाखे पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाने वाली आतिशबाजी है। इन्हें बनाने में फ्लावर पॉट्स, पेंसिल, स्पार्कल्स और चकरी का इस्तेमाल किया जाता है। 

210

ग्रीन पटाखों में खतरनाक केमिकल नहीं : 
इसके साथ ही ग्रीन पटाखों में सल्फर नाइट्रेट, आर्सेनिक, मैग्नीशियम, सोडियम, लेड और बोरियम जैसे हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। ग्रीन पटाखे बनाने में पार्टिक्यूलेटेड मैटर (PM) का ध्यान रखा जाता है ताकि इनके चलने के बाद कम से कम प्रदूषण हो।  

310

ग्रीन पटाखों से कम घ्वनि प्रदूषण : 
ग्रीन पटाखों में कच्चे माल का भी कम से कम उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही ये आकार में भी रेगुलर पटाखों से छोटे होते हैं। इनसे कम ध्वनि प्रदूषण होता है। एक तरफ जहां रेगुलर पटाखों में 160 डेसीबल तक का साउंड पैदा होता है, वहीं ग्रीन पटाखे सिर्फ 110-125 डेसीबल का साउंड उत्पन्न करते हैं। 

410

नॉर्मल पटाखों से कैसे अलग होते हैं ग्रीन पटाखे?
नॉर्मल पटाखों में बारूद और अन्य ज्वलनशील केमिकल होते हैं, जो जलने पर तेज आवाज के साथ फटते हैं। इससे भारी मात्रा में ध्वनि और वायु प्रदूषण होता है। वहीं ग्रीन पटाखों में हानिकारक केमिकल नहीं होते हैं, जिससे वायु प्रदूषण को काफी हद तक रोकने में मदद मिलती है।

510

इसलिए कम हानिकारक होते हैं ग्रीन पटाखे : 
रेगुलर पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे कम हानिकारक होते हैं। ग्रीन पटाखों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले हानिकारक केमिकल जैसे एल्यूमीनियम, बोरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन को या तो हटा दिया गया है या इनकी मात्रा बेहद कम कर दी जाती है। 

610

कैसे पहचानें ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखों की पहचान का सबसे आसान तरीका ये है कि इनके बॉक्स पर बने क्यूआर कोड को NEERI नाम के एप से स्कैन करके इनकी पहचान की जा सकती है। इन पटाखों के जलाने से पार्टिक्यूलेटेड मैटर बेहद कम मात्रा में निकलता है, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक है। 

710

इन तीन श्रेणियों के पटाखे ही खरीदें : 
सिर्फ SWAS, SAFAL और STAR इन तीन श्रेणियों में आने वाले पटाखों को ही खरीदें। इन्हें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा विकसित किया गया है। 

810

SWAS, यानी सेफ वॉटर रिलीजर। इस तरह के पटाखे हवा में जलवाष्प छोड़ते हैं, जो निकलने वाली धूल को दबा देते हैं। ये पटाखे पार्टिकुलेटेड मैटर को 30% तक कम कर देते हैं। 

910

इसी तरह, STAR एक सुरक्षित पटाखा है। इनमें पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं होते हैं। ये रेगुलर पटाखों की तुलना में कम पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन करते हैं। इनमें ध्वनि की तीव्रता भी काफी कम होती है।

1010

इसी तरह SAFAL पटाखों में एल्युमीनियम का न्यूनतम इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में बहुत कम शोर करते हैं। 

ये भी देखें : 

Mission LiFE: क्या है मिशन लाइफ, आखिर क्या है इसका मंत्र और मकसद? दुनिया के लिए क्यों बेहद जरूरी है ये मिशन

About the Author

GM
Ganesh Mishra
गणेश कुमार मिश्रा। 2009 से पत्रकारिता जगत में एक्टिव हैं। इनके पास 16 साल से ज्यादा का अनुभव। जुलाई, 2019 से एशियानेट न्यूज हिंदी में बतौर डिप्टी न्यूज एडिटर काम कर रहे हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (MCU) से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म की डिग्री ली है। नेशनल, इंटरनेशनल, पॉलिटिक्स, बिजनेस, एंटरटेनमेंट और फीचर स्टोरीज में काम करना पसंद। ये राज एक्सप्रेस, दैनिक भास्कर, नई दुनिया (जागरण ग्रुप) जैसे मीडिया संस्थानों में डेस्क और रिपोर्टिंग का काम कर चुके हैं।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved