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क्या भारत में मरीजों को दी जाएगी रूसी कोरोना वैक्सीन, एम्स डायरेक्टर डॉ गुलेरिया ने कही ये बड़ी बात
नई दिल्ली. पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में है। भारत में अब तक कोरोना के 22.68 लाख से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। इसी बीच रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन 'स्पूतनिक वी' बनाने का दावा कर डाला है। इस वैक्सीन से दुनियाभर को उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। हालांकि, WHO और जर्मनी जैसे देशों ने इस पर संदेह जताया है। इसलिए सवाल ये है कि क्या इस वैक्सीन का इस्तेमाल भारत में किया जाएगा। इस सवाल का जवाब दिया दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने। आईए जानते है, उन्होंने क्या कहा?
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डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, अगर रूस की वैक्सीन सफल होती है। तो हम बारीकी से ये देखना होगा कि क्या ये सुरक्षित और प्रभावी है। साथ ही यह भी जांचना होगा कि इसके कोई साइड इफेक्ट्स ना हों। इससे मरीज में अच्छी प्रतिरोधक क्षमता और सुरक्षा मिले।
उन्होंने कहा, भारत में इसका इस्तेमाल करने से पहले सुरक्षा के लिहाज से इसके असर को आंका जाएगा। उन्होंने कहा, अगर ये वैक्सीन सही साबित होती है तो भारत के पास बड़ी मात्रा में इसके निर्माण की क्षमता है।
इससे पहले मंगलवार को रूस ने दावा किया कि उसने कोरोना की सुरक्षित वैक्सीन बना ली है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा, दुनिया में पहली बार कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन रजिस्टर्ड हुई है।
उन्होंने वैक्सीन पर काम करने वाले लोगों को धन्यवाद भी कहा। पुतिन ने दावा किया है कि ये वैक्सीन सारे टेस्ट से गुजरी है। उन्होंने बताया कि पहला टीका उनकी बेटी को दिया गया।
रूस के दावे के बाद ही देशों ने कोरोना वैक्सीन की मांग शुरू कर दी है। रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दमित्रीवे ने बताया कि 20 से अधिक देशों ने कोरोना वैक्सीन की मांग की है। मांग करने वाले देशों में लैटिन अमेरिकी, मध्य पूर्व और एशिया के कुछ देश शामिल हैं। 5 देशों के साथ डील भी हो गई है।
किरिल ने बताया, रूस 5 देशों में हर साल 50 करोड़ डोज तैयार करेगा। उन्होंने सभी देशों से अपील की है कि वे अपने नागरिकों में ये टीका लगाकर लोगों के जीवन को बचाने में मदद करें।
2 साल तक रहेगा वैक्सीन का असर
रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुरास्खो ने दावा किया है कि जिसे ये वैक्सीन दी जाएगी। वह दो साल तक कोरोना से सुरक्षित रहेगा।
रूस में इस वैक्सीन का इस्तेमाल इसी महीने से शुरू हो जाएगा। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने हाल ही में बताया था कि इसी महीने हेल्थ वर्कर्स को यह वैक्सीन दी जा सकती है। इसके बाद पूरे देश में वरिष्ठ नागरिकों को यह वैक्सीन दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सितंबर में इसका उत्पादन और अक्टूबर में लोगों को लगाने का काम शुरू हो जाएगा।
इस वैक्सीन के बाद लोगों को बुखार आ सकता है। इसके लिए लोगों से पैरासिटामॉल इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों का दावा है, टीका लगने के बाद इम्युन सिस्टम को पावरफुल बूस्ट मिलता है, इससे प्राकृतिक रूप से बुखार आ सकता है। लेकिन इस साइड इफेक्ट को पैरासिटामॉल से दूर किया जा सकता है।