- Home
- Sports
- Other Sports
- कौन हैं Tokyo Olympics की भारतीय गोल्फर Aditi Ashok ? जानें उनसे जुड़ी 5 इंटरेस्टिंग बातें
कौन हैं Tokyo Olympics की भारतीय गोल्फर Aditi Ashok ? जानें उनसे जुड़ी 5 इंटरेस्टिंग बातें
स्पोर्ट्स डेस्क: टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय गोल्फर अदिति अशोक (Aditi Ashok) पदक चूक गईं और चौथे नंबर पर रहीं। हालांकि, इस खिलाड़ी ने आखिर मिनट तक बेहतरीन खेल दिखाया, लेकिन लास्ट शॉट में वह कुछ सेंटीमीटर से पिछड़ गई। गोल्फ में यहां तक पहुंचना किसी भी भारतीय खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी बात है, क्योंकि किसी को उम्मीद नहीं थी, कि हम गोल्फ में इतनी आगे तक जाएंगे। लेकिन अदिति ने ये कारनामा करके दिखाया। आइए आज हम आपको इस खिलाड़ी के बारे में बताते हैं...
| Published : Aug 06 2021, 11:59 AM IST / Updated: Aug 07 2021, 10:52 AM IST
- FB
- TW
- Linkdin
टोक्यो ओलंपिक 2020 से पहले अदिति अशोक 2016 के रियो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। रियो ओलंपिक में जब अदिति अशोक ने गोल्फ कोर्स पर कदम रखा तो उन्होंने इतिहास रच दिया था। वह 18 साल की उम्र में ओलंपिक महिला गोल्फ मैदान में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गईं और ओलंपिक में पहली भारतीय गोल्फर भी बनीं।
17 साल की उम्र में अदिति अशोक ने मोरक्को में लेडीज यूरोपियन टूर में जीतकर सबसे कम उम्र की और पहली भारतीय खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया। इस समय अदिति अशोक हाई स्कूल परीक्षा दे रही थी। इसके साथ ही अदिति ने इंडियन ओपन और कतर लेडीज ओपन में दो खिताब जीते थे।
अदिति अशोक 2016 में अपने प्रभावशाली सीजन के बाद लेडीज यूरोपियन टूर 'रूकी ऑफ द ईयर' पुरस्कार की विजेता थीं। अदिति अशोक दौरे पर अपने पहले साल में लगातार दो खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।
अदिति अशोक के पिता पंडित गुडलामणि अशोक गोल्फर के कैडी हैं। कैडी एक ऐसा व्यक्ति है जो गोल्फर्स क्लब चलाता है। हालांकि, टोक्यो ओलंपिक के लिए अदिति की कैडी उनकी मां मैश अशोक हैं।
2017 में अदिति अशोक को भारत की पहली एलपीजीए खिलाड़ी होने का गौरव मिला है। LPGA का मतलब लेडीज प्रोफेशनल गोल्फ एसोसिएशन है। यह महिला गोल्फरों के लिए एक अमेरिकी संगठन है।
अदिति अशोक इस साल टोक्यो ओलंपिक में मेडल की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी। लेकिन वह 1 शॉट के चलते अपना सपना पूरा नहीं कर पाई और चौथे नंबर पर रहीं। हालांकि, गोल्फ में भारत को यहां तक लेकर आना ही किसी अचीवमेंट से कम नहीं था। पहली बार ओलंपिक में कोई भारतीय खिलाड़ी गोल्फ में यहां तक पहुंचा हैं।