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पिता हल लेकर खेतों में निकलते थे और 8 साल का बेटा हॉकी लेकर, आज दुनिया में बढ़ाया गौरव
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अक्सर उन लोगों की कहानी हमारे दिल को छू जाती है जो मुश्किलों से निकलकर अपने सपनों को पूरा करते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है ओलंपिक में हॉकी टीम के खिलाड़ी सिमरनजीत सिंह की। जिन्होंने 8 साल की उम्र से ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था।
सिमरनजीत के ट्रेनर कहते हैं, कि वह सुबह और शाम बिना छुट्टी के प्रेक्टिस करते हैं। गर्मी हो या सर्दी, उन्होंने कभी प्रेक्टिस में नहीं छोड़ी। सिमरनजीत जब भी खेलते है तो वह कभी अंडरप्रेशर नहीं होते।
कुछ ऐसा ही खेल उन्होंने मंगलवार को टोक्यो ओलंपिक 2020 में हुए स्पेन के खिलाफ मैच में करके दिखाया। सिमरनजीत ने 15वें मिनट में अपनी टीम के लिए एक शानदार गोल दागा और स्पेन के खिलाफ 2-0 से बढ़त दिलाई। इसके बाद 51वें मिनट पर रूपिंदर सिंह के एक और गोल से भारतीय टीम 3-0 से ये मुकाबला जीत गई।
वैसे तो पंजाब में हॉकी खेलने का चलन काफी पुराना है। यही कारण है कि मौजूदा हॉकी टीम में अधिकतर खिलाड़ी पंजाब के ही हैं। इन्हीं में से एक है सिमरनजीत सिंह उनके साथ ही उनके भाई गुरजंट सिंह, दोनों ही भाई भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बटाला के गांव चाहल कला के एक परिवार में जन्मे सिमरनजीत का हॉकी खेलने का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हुआ उनके पिता एक इकबाल सिंह खेतीबाड़ी किया करते थे, जबकि उनकी मां मनजीत कौर घर का कामकाज संभालती थी।
सिमरनजीत जब 8 साल के थे तब उन्होंने गांव के ग्राउंड में हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। जब उनके पिता ने उन्हें हॉकी खेलते देखा तो बिना पैसों की परवाह किए अपने बेटे को ट्रेनिंग के लिए शाहबाद हॉकी स्टेडियम भेजा। इसके बाद चीमा एकेडमी में उन्होंने प्रेक्टिस की। इस दौरान उनका सिलेक्शन सुरजीत हॉकी अकेडमी जालंधर में हो गया था।
कड़ी मेहनत और लगन के दम पर सिमरनजीत का सिलेक्शन 2016 में जूनियर वर्ल्ड कप में हुआ। जहां उन्होंने बेल्जियम की टीम के सामने खेलते हुए चैंपियनशिप में फाइनल मैच में 2-1 से भारत को जीत दिलाने में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
लगातार उनके बेहतरीन खेल को देखते हुए इस साल उनका सिलेक्शन ओलंपिक 2020 के लिए हुआ और उन्होंने अपने करियर का पहला ओलंपिक खेलते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया।