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चल-चल मेरे भाई...जब नहीं मिला कोई साधन, तो दिव्यांग भाई को पीठ पर लादकर यूं निकल पड़ा युवक
भरूच, गुजरात. ये तस्वीरें लॉक डाउन के दौरान लोगों; खासकर गरीबों का दर्द बयां करती हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने देशभर में 21 दिनों का लॉक डाउन किया गया है, लेकिन काम-धंधा ठप होने से दिहाड़ी मजदूरों के लिए खाने-पीने और रहने का संकट पैदा हो गया है। लिहाजा, वे अपने-अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं। हालांकि अब केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे लोगों को राज्य की सीमा पर रोककर उनके वहीं रहने और खाने-पीने का इंतजाम किया जाए। उनका चेकअप किया जाए। पहली तस्वीर गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर की है। दक्षिण गुजरात में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर लगातार अपने-अपने गांवों या शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। यह युवक भी उनमें से एक है। उसका भाई दिव्यांग है, लिहाजा वो उसे पीठ पर लादकर चल पड़ा। इसके पास किराये के पैसे नहीं थे, इसलिए मजबूरी में उसे पैदल ही घर के लिए निकलना पड़ा।
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यह युवक सूरत में मजदूरी करता था। काम बंद होने से यह अपने भाई को पीठ पर लादकर 200 किमी दूर अपने घर की ओर निकल पड़ा। यह युवक ने बताया कि उसे वाहन तो मिल रहे थे, लेकिन किराये के पैसे नहीं थे, लिहाजा वो ऐसे ही आगे निकल पड़ा।
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यह तस्वीर दिल्ली की है। ये मजदूर रोजी-रोटी खत्म होने पर यूं अपने घर को निकल पड़े थे।
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यह तस्वीर दिल्ली की है, लेकिन ऐसी स्थितियां हर जगह देखने को मिलीं।
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लॉक डाउन के कारण मजदूरों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
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लॉकडाउन से सूनी पड़ीं गलियों में भटकता एक सब्जीवाला।
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