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सलाम करने वाली है इस मां की कहानी, जहां हर कदम पर मौत का डर..वहां दरियादिली दिखाने निकल पड़ी
जम्मू. जम्मू कश्मीर का नाम सुनते ही हर किसी के जहन में आंतकवाद का खौफनाक चेहरा याद आ जाता है। जहां लोगों को हर कदम पर मौत का डर रहता है। लेकिन इसी घाटी में एक बहादुर महिला ने इस तरह जिंदादिली दिखाई है कि वह राज्य की पहली महिला बस ड्राइवर बन गईं हैं। जहां लोग जाने से कतराते हैं वो वहां पर बस दौड़ा रही है। उसकी हर कोई सराहना कर रहा है।
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दरअसल, इस बुलंद हौसले का नाम है 30 साल की पूजा देवी जो कठुआ जिले के पहाड़ी क्षेत्र बसोहली के गांव सांधर की रहने वाली है। पुरुषों की तरह जब कोई पूजा देवी को कठुआ-जम्मू रूट पर बस चलाते देखता है तो उसकी तारीफ किए बिना नहीं रहता। किस तरह वो ड्राइवर की नीली वर्दी पहने यात्रियों को लेकर बस दौड़ा रही है।
बता दें कि जम्मू -कश्मीर में उनसे पहले किसी महिला ने आज तक यात्री बस नहीं चलाई है। पूजा देवी का कहना है कि बचपन से ही उनको ड्राइविंग का शौक था, पेशेवर ड्राइवर बनने की वजह से ही उन्होंने इस पेशे को चुना है। करीब 18 साल की उम्र से वो कार चला रही हैं। लेकिन परिवार ने उनका साथ नहीं दिया और उनको ड्राइवर नहीं बनने दिया। मैं इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी कि कोई और नौकरी कर सकूं।
पूजा देवी अपनी बगल वाली सीट पर अपने ने छोटे बेटे को बैठाकर बस दौड़ा रही हैं। उनकी बेटी दसवीं कक्षा की छात्रा है जो घर में रहती है। उनका कहना है कि ड्राइवर बनने के फैसले पर उन्हें अपने ही परिवार बुराई लेने पड़ी है। ससुरालवाले से लेकर माता-पिता तक विरोध करते थे। लेकिन अब वही मेरी तारीफ करते हैं।
पूजा ने कहा कि वे महिलाओं को इस तरह की मानसिकता से बाहर निकालना चाहती हैं, ताकि सभी महिलाएं अपने सपनों की उड़ान भर सकें। उन्होंने बताया कि जो लोग पहले उनके विरुद्ध खड़े थे, वे आज उन पर गर्व कर रहे हैं। वह चाहती हैं मेरी तरह देश की हर महिला अपना फैसला खुद ले सके।
पूजा देवी ने कहा कि उनके परिवार की आर्थिक हालत इतनी मजबूत नहीं है कि उनको कोई काम नहीं करना पड़े। यह उन कारणों में से एक था जिसकी वजह से उन्हें कमाने के लिए घर से बाहर आना पड़ा । उन्होंने बताया, मुझे जम्मू में एक प्रतिष्ठित ड्राइविंग संस्थान से प्रशिक्षक के रूप में प्रति माह 10000 मिल रहे थे।