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1984 में हुए दिल दहलाने वाले सिख दंगे को लेकर फिर संकट में फंसे कमलनाथ, यह मिली चेतावनी
| Published : Jan 23 2020, 11:03 AM IST / Updated: Jan 23 2020, 11:05 AM IST
1984 में हुए दिल दहलाने वाले सिख दंगे को लेकर फिर संकट में फंसे कमलनाथ, यह मिली चेतावनी
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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष और अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कड़े शब्दों में कहा कि कमलनाथ को कॉलर खींचकर मंच से उतार देना चाहिए। सिरसा ने ऐलान किया कि कमलनाथ की रैलियों का विरोध किया जाएगा।
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उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में देशभर में सिख विरोधी दंगे हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दंगों में 15,000 सिखों की हत्या कर दी गई। अकेले दिल्ली में ही करीब 7 हजार निर्दोषों को मार दिया गया था।
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याद रहे कि 1984 में इंदिरा गांधी की उन्हीं के अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद देशभर में दंगा भड़क गया था। मां की मौत के बाद जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने कहा था कि जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है। इस मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार प्रमुख आरोपी हैं। वे उम्र कैद की सजा भुगत रहे हैं।
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इंदिरा गांधी की हत्या के पीछे ऑपरेशन ब्लू स्टार को माना जाता है। 1970 के दशक में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। इसका विरोध करने पर हजारों सिखों को कैद कर लिया गया था। छोटी-मोटी हिंसा के बाद एक सशस्त्र सिख अलगाववादी समूह को सरकार ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था।
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जून 1984 को इसी संगठन ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था। विद्रोहियों को बाहर निकालने भारतीय अर्धसैनिक बलों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था। माना जाता है कि इस अलगाववादी संगठन को पाकिस्तान से शह मिली हुई थी। इसका नेतृत्व जनरैल सिंह भिंडरांवाले कर रहा था। यही वो शख्स है, जिसने पंजाब में सिख आतंकवाद को चरम पर पहुंचाया था।
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ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान स्वर्ण मंदिर में घुसे आतंकवादियों को मार गिराया गया था। यह बात सिखों को नागवार गुजरी और इंदिरा गांधी के दो अंगरक्षकों ने ही 31 अक्टूबर को उनकी गोलियां मारकर हत्या कर दी थी।
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज के सामने कथित रूप से दंगा भड़काने का जिम्मेदार माना जाता है।