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कोरोनाकाल में प्रेरणा बनीं ये लड़की, दोनों हाथ नहीं फिर भी पैरों से करती मरीजों की सेवा..देखें फोटोज

गुवाघाटी (असम). कहते हैं कि जज्बा और जुनून हो तो हर मुश्किल राह भी आसान लगने लगती है। बस आपके इरादे मजबूत होना चाहिए। ऐसी ही एक कहानी कोरोना काल में सामने आई है असम की 21 साल की प्रिंसी गोगोई की, जो आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। बचपन से उनके दोनों हाथ नहीं हैं, फिर उनका हौसला कम नहीं हुआ और अपने पैरों को हाथ बनाकर सब कुछ सीख लिया। वह इस समय गुवाहाटी के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में जॉब करती हैं, जो भी उनको देखता है बस देखता ही रह जाता है। आइए जानते हैं दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी दिव्यांग प्रिंसी की कहानी... 

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Asianet News Hindi
Published : Aug 17 2020, 09:40 AM IST| Updated : Aug 17 2020, 09:50 AM IST
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प्रिंसी असम के छोटे से शहर सोनारी की रहने वाली हैं, जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं हैं। फिलहाल वह गुवाहाटी में रहती हैं और एक हॉस्पिटल में नौकरी कर पूरे परिवार का खर्चा उठा रही हैं। घरवालों को कोई दुख नहीं बल्कि प्रिंसी पर गर्व है कि उनकी बेटी आज अपने दम पर परिवार को पाल रही है।

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बता दें कि दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी प्रिंसी ने कभी हार नहीं मानी और पैरों से ही लिखकर 12वीं क्लास पास की। प्रिंसी को पेंटिंग और सिंगिंग काफी शौक है। जब कभी उनको जॉब से समय  मिलता है तो वह पेंटिंग बनाने लगती हैं।

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प्रिंसी ने एक मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो पांची क्लास में एडमिशन लेने के लिए गई थीं तो स्कूल ने प्रवेश नहीं दिया था। इस दौरान एक टीचर ने मुझे मानसिक रोगी बताकर स्कूल से निकाल दिया था। हालांकि मैंने कोई दुख नहीं मनाया था, फिर गांव के ही स्कूल में 10वीं पास किया और फिर 12वीं। प्रिंसी का कहना है कि ऐसा कोई काम नहीं जो एक दिव्यांग नहीं कर सकता है, बस संकल्प और जुनून होना चाहिए।

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जब प्रिंसी पैरों की अंगुलियों से ब्रश पकड़कर कोई चित्र बनाती हैं देखने वाले हैरत में पड़ जाते हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने इसी तरह एक गणेश जी की मूर्ति बनाई थी जो 30 हजार रुपए में बिकी थी।

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प्रिंसी  का कहना है कि वह पेंटिंग इसलिए बनाती हूं ताकि इसको बेचकर वह दिव्यांग बच्चों के लिए एक आर्ट स्कूल खोलना चाहती हैं। ताकि वह भी कोई हुनर सीखें और उन्हें कभी ऐसा नहीं लगे की वह दिव्यांग हैं।  

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प्रिंसी पैरों से ही हॉस्पिटल का सारा काम करती हैं, मरीज का नाम लिखने से लेकर फोन उठाने तक का काम पैरों की अंगुलियों से करती हैं।

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प्रिंसी के जूनुन और जज्बे के लिए कई सामाजिक संस्थाएं समानित भी कर चुकी हैं।

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यह तस्वीर साल 2018 की है जब प्रिंसी को एक स्कूल में बतौर गेस्ट बुलाया गया था।

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