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- क्यों हिल रही ये यहां की धरती.. 19 पहले का डरावना मंजर भूलने नहीं दे रही प्रकृति, देखिए 24 तस्वीरें
क्यों हिल रही ये यहां की धरती.. 19 पहले का डरावना मंजर भूलने नहीं दे रही प्रकृति, देखिए 24 तस्वीरें
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ये तस्वीरें भुज में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप की हैं। लेकिन लोगों के हौसलों ने फिर से खुद को खड़ा कर लिया।
भुज में इस तरह लोग दफन हो गए थे।
यह तस्वीर गुजरात के भुज से 40 किमी दूर अंजर गांव की है। यहां 2001 में भूकंप आया था।
भुज में इस तरह घर बिखर गए थे।
भुज से 40 किमी दूर अंजार गांव की तस्वीर।
भुज में इस तरह बिल्डिंग्स जमींदोज हो गई थीं।
मोहल्ले के मोहल्ले बर्बाद हो गए थे। लाशें मलबे में दबी पड़ी थीं।
याद रहे कि जब 26 जनवरी, 2001 को देश सुबह गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा था, तभी भूकंप ने गुजरात खासकर कच्छ-भुज को हिलाकर रख दिया था।
भूकंप में 167,000 लोग मलबे में दबकर घायल हो गए थे।
भूकंप सिर्फ 2 मिनट आया था, लेकिन इतने ही वक्त में मौत ने तांडव मचा दिया था। कच्छ-भुज में ही 12,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।
एक साथ कई चिताएं जलते देखकर किसी को भी रोना आ सकता है, ये तो फिर उनके अपने थे।
भुज में 40 प्रतिशत घर नष्ट हो गए थे। इनमें ऐतिहासिक धरोहरें भी शामिल थीं।
2 मिनट के भूकंप ने करीब 4 लाख घरों की नींव हिला दी थीं।
भूकंप से ऐसे हिल गई थीं ऐतिहासिक इमारतें।
अनुमान लगाया गया था कि भूकंप से करीब 15 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
कई लाशें तो ऐसी थीं, जिनकी पहचान तक नहीं हो पाई थी। उन्हें दूसरों ने अग्नि दी।
बता दें कि भुज भूकंप के केंद्र से सिर्फ 12 किमी दूर बसा शहर है। भूकंप से भचाऊ और अंजार भी बुरी तरह प्रभावित हो गए थे।
भूकंप के बाद पूरा देश गुजरात की मदद के लिए आगे आया था। जैसे आज वॉरियर्स जी-जान से लोगों को कोरोना से बचा रहे, तब घायलों की मदद कर रहे थे।
जब भूकंप से भुज-कच्छ उड़ खड़ा हुआ, तो कोरोना को हराना कोई बड़ी बात नहीं।
भूकंप ने कुछ ही सेकंड में बड़ी-बड़ी इमारतों को मिट्टी में मिला दिया था।