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उत्तराखंड की गजब कहानी: 20 साल में बदले 12 मुख्यमंत्री, एक को छोड़ कोई CM नहीं कर पाया 5 साल पूरा
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बता दें कि उत्तराखंड के इतिहास में बीजेपी के लिए यह कोई पहली बार नहीं है जो पांच साल पूरे होने से पहले राज्य का मुख्यमंत्री बदलना पड़ रहा है। इससे पहले 2002 में बीजेपी के भगत सिंह कोश्यारी सिर्फ 123 दिन CM रहे थे। त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तीरथ को 6 महीने के भीतर विधानसभा उपचुनाव जीतना था, तभी वह CM रह पाते। यानी 10 सितंबर से पहले उन्हें विधायक का चुनाव जीतना था। हालांकि अभी उनके पास वक्त था, लेकिन अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने में साल भर से कम समय बचा है। कहा जा रहा है कि ऐसे में उपचुनाव कराना संभव नहीं है। ऐसे में दस सितंबर के पहले तीरथ सिंह रावत का सदन में विधायक चुना जाना असंभव है। इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।
बीजेपी के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में 2000 में उत्तराखंड राज्य का सपना साकार हुआ था। यूपी से अलग होकर बने उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनी। लेकिन उनका एक भी मुख्यमंत्री पांच साल पूरा नहीं कर सका। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी के नेता नित्यानंद स्वामी ने 9 नवम्बर 2000 को शपथ ली, लेकिन एक साल के अंदर राजनीतिक हालत ऐसे बन गए कि उनको अपना इस्तीफा देना पड़ा।
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने नित्यानंद स्वामी के बाद उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को 30 अक्टूबर 2001 को राज्य की कमान सौंपी। लेकिन ज्यादा समय तक वह भी अपनी कुर्सी नहीं बचा सके और 1 मार्च 2002 तक ही मुख्यमंत्री पद पर रह सके। दरअसल, एक साल बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी कोश्यारी के अगुवाई में चुनाव लड़ी और चुनाव हार गई। इस तरह कोश्यारी की सीएम की कुर्सी चली गई। फिर 2002 में कांग्रेस सत्ता आई नारायण दत्त तिवारी ने सीएम बनकर पांच साल पूरे किए।
5 साल राज्य में कांग्रेस की सत्ता रहने के बाद 2007 में विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की जीत हुई और पहले सीएम के तौर पर 8 मार्च 2007 को भुवन चन्द्र खंडूरी को सीएम बनाया। लेकिन सत्ता उन्हें ज्यादा दिन रास नहीं आई और 23 जून 2009 तक ही इस पद रह सके।
इसके बाद बीजेपी ने खंडूरी की जगह रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता की कमान सौंपी। निशंक की कुर्सी भी चुनाव से ठीक चार महीने पहले चली गई। एक बार फिर राज्य का सीएम बीजेपी ने 2011 में खंडूरी को दोबारा सीएम बनाया। साल 2012 में विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस के हाथ सत्ता लगी।
2012 कांग्रेस ने वापसी की और विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया गया। पांच साल पूरे होने से पहले पहले कांग्रेस को भी सीएम बदलना पड़ा। जहां दो साल बाद हरीश रावत को राज्य की कमान सौंपते हुए सीएम की कुर्सी पर बैठाया।
साल 2017 में उत्तराखंड में फिर विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को 18 मार्च 2017 को सीएम के तौर पर सीएम की शपथ दिलाई गई। उनको चार साल पूरे हो गए, लेकिन आखिर साल में अब उनकी कुर्सी भी जानी भी तय हो गई।
2000 में राज्य के गठन के बाद से कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। नारायण दत्त तिवारी ही सिर्फ अपवाद हैं जिन्होंने साल 2002 से 2007 तक अपना कार्यकाल जैसे-तैसे पूरा किया। उनको छोड़कर कांग्रेस और बीजेपी का कोई भी मुख्यमंत्री अब तक अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।
अब तक इन लोगों ने ली उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की शपथ
नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी, भुवन चंद्र खंडूरी, (दो बार बने सीएम) विजय बहुगुणा जोशी, हरीश रावत (तीन बार ली शपथ), त्रिवेंद्र सिंह मुख्यमंत्री, तीरथ सिंह रावत और अब एक और नया नाम कुछ देर बाद सामने आ जाएगा।