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तिरंगे में लिपटकर गांव पहुंचा शहीद जगेंद्र सिंह चौहान का पार्थिव शहीर, पत्नी बोली- अब किसका करूंगी इंतजार
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20 फरवरी को बलिदानी जगेंद्र सिंह चौहान सियाचिन में ड्यूटी में गश्त करने के दौरान ग्लेशियर टूटने से चोटिल हो गए थे। इलाज के दौरान 21 फरवरी को वे शहीद हो गए। रात पौने 12 बजे जब परिजनों को इसकी जानकारी दी गई तो उनका कलेजा मानो फट गया। परिवार में मातम छा गया। पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह चौहान, माता विमला चौहान, पत्नी किरन चौहान, भाई अजेंद्र और मनमोहन चौहान के आंसू रुक ही नहीं रहे।
बेटे का पार्थिव देह जब शुक्रवार को गांव लाया गया तो अंतिम यात्रा के दौरान स्थानीय व्यापारियों ने भी शोक व्यक्त करते हुए कान्हरवाला, भानियावाला का बाजार बंद रख कर अपनी ओर से श्रद्धांजलि दी। स्कूली बच्चों ने शहीद को नमन किया।
पार्थिव शरीर को उनके आवास से लेकर भानियावाला तिराहे तक कंधों में उठाकर ले जाया गया और भारत माता की जय, शहीद जगेंद्र सिंह अमर रहे के नारों के बीच अंतिम विदाई दी गई। इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को हरिद्वार स्थित घाट पर ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया।
जगेंद्र सिंह चौहान 25 फरवरी को घर आने वाले थे। उनके घर स्वागत की तैयारियां चल रही थी। वो घर तो आए, लेकिन तिरंगे में लिपटकर। उनके शहीद होने की सूचना मिलते ही पत्नी किरन चौहान और माता विमला चौहान गहरे सदमे में हैं। करीब चार साल पहले उनका विवाह हुआ था। वे मूलरूप से भनस्वाड़ी, थत्यूड़ ब्लॉक, टिहरी गढ़वाल के रहने वाले थे, उनके पिता 2007 से कान्हरवाला भानियावाला में रह रहे हैं।
शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि सरकार दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ी है। शहीद के परिवार की हरसंभव मदद की जाएगी। साथ ही परिवार के एक व्यक्ति को योग्यतानुसार सरकारी नौकरी देने के साथ ही शहीद के नाम पर सड़क और स्कूल का नाम भी रखा जाएगा। ताकि जगेंद्र की शहादत को हमेशा याद रखा जा सके।
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