- Home
- States
- Other State News
- उत्तराखंड हादसा: इस गांव में दूसरी तबाही का खौफ, घर छोड़ जंगल में रात बिता रहे यहां के लोग..
उत्तराखंड हादसा: इस गांव में दूसरी तबाही का खौफ, घर छोड़ जंगल में रात बिता रहे यहां के लोग..
- FB
- TW
- Linkdin
गांव वालों को खौफ है कि जो ग्लेशियर टूटा है, उसके बाद कहीं दूसरा ग्लेशियर नहीं टूट जाए, इसी के चलते रविवार रात से ही कई गांववाले जंगल में रात बिता रहे हैं। जो कि लोगों के घरों से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर है। वह अपने बच्चों और महिलाओं को लेकर चले जाते हैं और सुबह घरों में वापस आ जाते हैं। जहां पर यह लोग सोते हैं वहां का रात का तापमान 1 डिग्री के करीब है, फिर भी वह वहां सोने को मजबूर हैं।
आपको बता दें कि रैणी गांव के लोगों में प्रकृति के लिए बहुत प्रेम है, इसी गांव से ही 1973 में चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। जहां लोगों ने यहां पेड़ कटाई के खिलाफ आंदोलन को चलाया था और पेड़ों से ही चिपक कर खड़े हो गए थे। अब यही गांव तबाही के खौफ में जी रहा है, द रैणी गांव का मुख्य सड़क से कनेक्शन कट गया है। यहां ना तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही पेट भरने के लिए काम बचा।
इस भयानक हादसे के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए रैणी गांव की प्रधान शोभा राणा बताया कि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस दौरान हम लोग नाशता करके काम पर जाने वाले थे। कोई खेत पर जाने वाला था तो कोई सामान खरीदने जोशीमठ के लिए जा रहा था। शुरुआत में अचानक तेज धमाका हुआ जिसकी आवाज सुनकर हम लोग डर गए। फिर नदी में जलजला देखकर सबके होश उड़ गए। इतना भयानक मंजर कि बड़ी-बड़ी चट्टानें, पेड़ और इंसान ऋषि गंगा और धौली गंगा नदियों में समा गए। जिस वक्त सैलाब आया उस दौरान सैंकड़ों मजदूर बांध पर काम कर रहे थे, देखते ही देखते वह भी नदी में बह गए। कई लोग अभी भी सदमे में है, वह अपनों के लौटने के इंतजार में हाइवे और नदी किनारे बैठे हुए हैं।
रैणी गांव में ग्लेशियर के टूट जाने से काफी कुछ तबाह हो गया है। किसी का पिता की मौत हो गई तो किसी के पति का अभी भी कुछ पता नहीं है। जिस ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और एनटीपीसी प्रोजेक्ट में मजदूरी करके अपना पेट पालते थे वह भी पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। हालात का जायसा लेने के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी तपोवन पहुंच चुके हैं। वह गांव के लोगों को दिलासा दे रहे हैं कि आपके जो भी परिजन इस दलदल में फंसे हुए हैं सेना उनको खोजकर लाएगी। इतना ही नहीं तलाशी अभियान में खोजी कुत्तों को भी लगाया गया है।
बता दें कि ढाई किलोमीटर लंबी इस टनल में पानी की वजह से मलबा दलदल में तब्दील हो गया है। इस वजह से ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है। ITBP की अधिकारी अपर्णा कुमार ने बताया कि रातभर टनल से मलबा हटाया गया है। अभी तक टनल में फंसे किसी भी मजदूर से हमारा संपर्क नहीं हो पाया है।
वहीं मंगलवार सुबह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आईटीबीपी अस्पताल पहुंचे। जहां उन्होंने इस हादसे में घायल हुए लोगों से हालचाल जाना। बता दें कि टनल से जिंदा निकाले गए 12 लोगों का इस अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि वो जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।