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6 साल के बेटे की जान बचाने गोद में लेकर दौड़ते बेबस पिता की तस्वीर देखकर सनी देओल हुए भावुक
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28 अप्रैल की सुबह करीब 4 बजे कृष्णा को सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। उसके पिता फौरन कार में उसे लेकर सुजानपुर और फिर एम्बुलेंस से पठानकोट के अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन कहां उसे इलाज नहीं मिला। करीब डेढ़ घंटे यहां से वहां और वहां से यहां भटकते रहने के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया। बच्चे के पिता की हेल्प के लिए साथ आए डॉ. धीरज ने बताया कि सुजानपुर सीएचसी की इमरजेंसी में कोई डॉक्टर तक नहीं मिला। इसके बाद वे बच्चे को 108 एम्बुलेंस से सुबह 4.55 बजे पठानकोट के सिविल अस्पताल पहुंचे। इस दौरान वे और बच्चे के पिता मुंह से उसे सांस देते रहे। इस मामले की शिकायत पीएमओ और सीएम के ट्वीटर अकाउंट पर की गई है।
यह तस्वीर गुजरात के राजकोट की है। यह विधवा मां हाथ ठेले से एक्सीडेंट में घायल हुए अपने बेटे को हॉस्पिटल ले जाते दिखाई दी थी। वो तेज धूप में करीब 2 किमी ठेला चलाकर हॉस्पिटल पहुंची। महिला ने एम्बुलेंस के लिए टोल फ्री नंबर 108 पर कॉल किया था। लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिली। मामला जेतपुर नगर पालिका का है।
यह तस्वीर गुजरात के राजकोट की है। मोरबी के पुराने पावर हाउस के करीब रहने वाल सुरेश कुमार के तीन महीने पहले पैर में कांच घुस गया था। उनका इलाज चल रहा था। इसी बीच लॉकडाउन होने से वे इलाज कराने नहीं जा सके। अचानक तकलीफ बढ़ी, तो उनकी पत्नी हाथ ठेले पर उन्हें हॉस्पिटल लेकर पहुंची थीं। मुन्नी ने बताया था कि प्राइवेट एम्बुलेंस वाले 3-4 हजार रुपए मांग रहे थे। गरीब के पास इतने पैसे कहां से आएंगे? यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।
यह तस्वीर मध्य प्रदेश में लॉक डाउन के बीच सरकारी इंतजामों की असलियत सामने लाई थी। मामला मरीमाता क्षेत्र के रहने वाले 55 वर्षीय पांडुराव चांदवे की मौत से जुड़ा है। एम्बुलेंस न मिलने पर उनके परिजन स्कूटी पर बैठाकर उन्हें एमवायएच पहुंचे। वहां उनकी मौत हो गई। इसके बाद भी जब एम्बुलेंस नहीं मिली, तो स्कूटी पर चांदवे की लाश लेकर परिजन घर पहुंचे।
यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सामने आई थी। यह मजदूर बच्ची तेलंगाना के पेरूर गांव से पैदल अपने गांव के लिए निकली थी। बच्ची बीजापुर जिले के आदेड़ गांव की रहने वाली थी। लॉकडाउन में काम-धंधा बंद हो जाने पर यह बच्ची गांव के ही 11 दूसरे अन्य लोगों के साथ घर को लौट रही थी। ये लोग 3 दिनों में करीब 100 किमी चल चुके थे। इस दौरान बच्ची ने कई बार कहा कि उसका पेट दु:ख रहा है। लेकिन उसे कहीं इलाज नहीं मिला। आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।