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अच्छी-खासी जॉब छोड़कर आर्मी की थी ज्वाइन...10 पाकिस्तानी सैनिकों को मारकर ऊंची चोटी पर फहरा दिया था तिरंगा
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कारगिल युद्ध के एक अन्य हीरो पंजाब के पठानकोट जिले के गांव घरोटा के रहने वाले वीरचक्र से सम्मानित कैप्टन रघुनाथ सिंह ने एक मीडिया को बताया कि कैप्टन विक्रम बत्तरा करीब एक लाख रुपए महीने की सैलरी वाली जॉब छोड़कर सेना में भर्ती हुए थे। कैप्टन बत्तरा अकसर कहते थे कि सेना में आना उनका ड्रीम था।
7 जुलाई, 1999 को कैप्टन बत्तरा को मास्को घाटी की पॉइंट 4875 की चोटी को दुश्मनों से मुक्त कराने के मिशन पर भेजा गया था। वे अपने साथियों के साथ बड़ी बहादुरी से लड़े। 10 पाकिस्तानी सैनिकों को मारने के बाद उन्होंने चोटी को दुश्मनों से मुक्त करा दिया।
पॉइंट 4875 पर तिरंगा फहराने के बाद जब लौटने को हुए, तो देखा कि उनके जूनियर साथी लेफ्टिनेंट नवीन ग्रेनेड के हमले में बुरी तरह घायल हो गए थे। बत्तरा ने उन्हें अपने कंधे पर उठाया और लौटने लगे। इसी बीच दुश्मनों ने उनके सीने में गोली मार दी। इस तरह वे शहीद हो गए।
कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। उन्होंने 6 दिसंबर, 1997 को सेना की 13वीं जम्मू-कश्मीर राइफल्स ज्वाइन की थी। बत्तरा की कमांडो ट्रेनिंग जैसे ही खत्म हुई, उन्हें कारगिल में तैनात कर दिया गया। 1 जून, 1999 का उन्होंने अपनी यूनिट के साथ दुश्मनों के खिलाफ मोर्चा संभाला था।
कैप्टन विक्रम बत्तरा के इस अदम्य साहस के लिए 15 अगस्त, 1999 को वीरता के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था।