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पंजाब चुनाव की 10 बड़ी सीटों का रिजल्ट 2022: दोनों सीटों से हारे सीएम चन्नी, आप की आंधी में उड़ गए बड़े दिग्गज
पंजाब (Punjab Chunav 2022) में आम आदमी पार्टी की चुनावी आंधी में बड़े-बड़े दिग्गज भी नहीं ठहर पाए। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार और पंजाब में सीएम का चेहरा भगवंत मान ने धुरी सीट से जीत दर्ज की। हालांकि, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के सामने बड़े-बड़े दिग्गज भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। पंजाब के पूर्व सीएम रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह जहां पटियाला से चुनाव हार गए, वहीं जलालाबाद से अकाली के सुखबीर सिंह बादल, अमृतसर पूर्व से कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू और विक्रमजीत सिंह मजीठिया और लांबी से 94 साल के प्रकाश सिंह बादल भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। इतना ही नहीं, दो सीटों से चुनाव लड़े सीएम चरणजीत सिंह चन्नी अपनी दोनों ही सीटें हार गए हैं।

प्रकाश सिंह बादल, सीट - लांबी, जिला- मुक्तसर
पंजाब की सियासत में पितामह कहे जाने वाले शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल लांबी से चुनाव हार गए। 94 साल के बादल को आप के गुरमीत सिंह ने करीब 11 हजार वोटों से शिकस्त दी। पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल 94 साल की उम्र में 11वीं बार चुनावी मैदान में थे। मुक्तसर जिले की लांबी विधानसभा से बादल 1997 से लगातार 5 चुनाव जीत चुके हैं। बादल के खिलाफ कांग्रेस ने जगपाल सिंह और आम आदमी पार्टी ने गुरमीत खुडि्डयां को चुनाव मैदान में उतारा था। इस बार बादल की प्रतिष्ठा दांव पर थी लेकिन वो अपनी सीट नहीं बचा पाए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह पूर्व सीएम, सीट - पटियाला शहरी, जिला - पटियाला
पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला अर्बन से चुनाव हार गए हैं। उन्हें आप के अजीतपाल कोहली ने 13 हजार वोटो से हरा दिया है। कांग्रेस से अलग होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी बनाई। उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन में है। इस बार का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था। आप से पूर्व मेयर अजीतपाल कोहली तो कांग्रेस से पूर्व मेयर विष्णु शर्मा मैदान में थे। पटियाला रियासत के प्रभाव क्षेत्र में आने वाली इस सीट से कैप्टन अमरिंदर चार बार विधायक रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह 2012 के चुनाव में भी इसी सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और तब उनकी पत्नी यहां से उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुई थीं।
नवजोत सिंह सिद्धू, सीट- अमृतसर ईस्ट, जिला- अमृतसर
अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट से नवजोत सिंह सिद्धू भी चुनाव हार गए हैं। उन्हें आप (AAP) की जीवनजोत कौर ने करीब 7 हजार वोटों से शिकस्त दी। वहीं शिरोमणि अकाली दल ने पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया (Vikram Singh Majithia) को मैदान में उतारा था लेकिन वो भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। बीजेपी ने पूर्व IAS अफसर जगमोहन सिंह राजू (Jagmohan Singh Raju) को इस सीट से टिकट दिया था।
भगवंत मान, सीट - धुरी, जिला - संगरूर
आम आदमी पार्टी के भगवंत मान चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दलवीर सिंह गोल्डी को करीब 58 हजार वोटों से हराते हुए जीत दर्ज की। जब से भगवंत मान को आप ने अपना उम्मीदवार घोषित किया तभी से धुरी विधानसभा क्षेत्र हॉट सीट में शुमार हो गई थी। धुरी विधानसभा सीट संगरूर जिले में आती है। भगवंत मान संगरूर संसदीय सीट से दो बार सांसद चुने जा चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। कांग्रेस उम्मीदवार दलवीर सिंह गोल्डी ने आम आदमी पार्टी के जसवीर सिंह जस्सी को 2,811 वोट से मात दी थी। शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार हरि सिंह तीसरे नबंर पर थे। अकाली दल (एम) के उम्मीदवार सुरजीत सिंह कालाबुला चौथे स्थान पर रहे थे। धुरी विधानसभा सीट से कांग्रेस ने इस बार फिर से दलवीर सिंह गोल्डी को ही मैदान में उतारा तो शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर प्रकाश चंद्र गर्ग ने चुनाव लड़ा।
चरणजीत सिंह चन्नी, सीट - चमकौर साहिब, जिला- रोपड़
मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीएम फेस चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों से चुनाव हार गए हैं। इस बार वो दो विधानसभा सीटों से मैदान में उतरे थे। इसमें एक चमकौर साहिब तो दूसरी भदौड़ विधानसभा सीट है। आम आदमी पार्टी की तरफ से डॉ. चरणजीत सिंह ने उन्हें चमकौर साहिब और आप के ही लाभ सिंह उगोके ने भदौड़ सीट से हरा दिया। भाजपा ने यहां से दर्शन सिंह शिवजोत को अपना प्रत्याशी बनाया था, जबकि बसपा ने AIG हरमोहन सिंह संधू को मैदान में उतारा था। विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले मुख्यमंत्री बनाए गए चरणजीत सिंह चन्नी 2007, 2012 और 2017 में लगातार तीन बार चमकौर साहिब से विधायक चुने जा चुके हैं।
विक्रमजीत सिंह मजीठिया, सीट - अमृतसर ईस्ट, जिला - अमृतसर।
अमृतसर पूर्व (Amritsar east seat) से शिरोमणि अकाली दल के विक्रमजीत सिंह मजीठिया चुनाव हार गए हैं। उन्हें आप की जीवनज्योत कौर ने शिकस्त दी। यहां से कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू और शिरोमणि अकाली दल के नेता विक्रम सिंह मजीठिया के बीच मुकाबला था, लेकिन बाजी आप की जीवनज्योत मार ले गईं। विक्रमजीत मजीठिया तीसरे नंबर पर रहे। सुखबीर सिंह बादल के बहनोई और पूर्व मंत्री मजीठिया को सिद्धू के खिलाफ मैदान में उतारने के बाद इस सीट पर चुनावी जंग रोचक थी, लेकिन नतीजे कुछ और ही रहे। सिद्धू और मजीठिया दोनों के लिए यह लड़ाई महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। दोनों नेताओं के बीच चुनाव प्रचार के दौरान जुबानी जंग भी खूब देखने को मिली थी।
सुखबीर सिंह बादल, सीट - जलालाबाद, जिला- फाजिल्का
जलालाबाद विधानसभा सीट से सुखबीर सिंह बादल करीब 31 हजार वोटों से चुनाव हार गए हैं। उन्हें आप के उम्मीदवार जगदीप कम्बोज ने शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के मोहन सिंह रहे। यह विधानसभा क्षेत्र अकाली और बसपा गठबंधन के लिए खास थी क्योंकि यहां से अकाली की सीएम फेस सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) चुनावी मैदान में थे। जलालाबाद पंजाब के फाजिल्का जिले में पड़ती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सुखबीर सिंह बादल विधायक चुने गए थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भगवंत मान को हराया था। सुखबीर सिंह बादल को 75,271 वोट मिले थे जबकि आम आदमी पार्टी उम्मीदवार भगवंत मान को 56,771 वोट मिला था। तीसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार रवनीत सिंह बिट्टू थे।
बलबीर राजेवाल, सीट - समराला, जिला- लुधियाना
किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल भी चुनाव हार गए हैं। कृषि कानूनों के विरोध में करीब एक साल तक आंदोलन करने के बाद पंजाब में राजनीतिक दल के रूप में सक्रिय हुए किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ( Balbir Singh Rajewal) ने समराला से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। हालांकि, उन्हें आप के जगतार सिंह दियालपुरा ने भारी अंतर से हरा दिया। बता दें कि 22 किसान संगठनों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने राजेवाल को अपना सीएम चेहरा घोषित किया था। अभी तक इस सीट से कांग्रेस और अकाली दल के ही उम्मीदवार जीतते रहे हैं। 1972 के बाद 10 विधानसभा चुनावों को देखें तो यहां 6 बार कांग्रेस और 4 बार शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। राजेवाल का सामना कांग्रेस उम्मीदवार राजा गिल, भाजपा के रणजीत सिंह गहलेवाल, अकाली दल के परमजीत सिंह ढिल्लों और आप के जगतार सिंह से था
मालविका सूद, सीट - मोगा, जिला - मोगा
एक्टर सोनू सूद की बहन मालविका सूद मोगा से चुनाव हार गई हैं। कांग्रेस की मालविका को आप के अमनदीप कौर अरोड़ा ने करीब 21 हजार वोटों से शिकस्त दी। उनके सामने मौजूदा विधायक हरजोत सिंह कमल मैदान में उतरे। हरजोत कमल कांग्रेस के बागी हैं। वह मालविका सूद को टिकट देने के बाद कांग्रेस से नाराज हो गए थे। इस बार वो बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे। आम आदमी पार्टी ने इस सीट से डॉ. अमनदीप कौर को उतारा तो अकाली दल ने बरजिंदर सिंह बरार को उम्मीदवार बनाया। इस सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था। 40 साल में कांग्रेस ने यहां से 6 बार जीत दर्ज की है। लेकिन इस बार आप ने उनके गढ़ में सेंध लगा दी।
पंजाबी गायक सिद्धू मुसेवाला, सीट - मानसा, जिला- मानसा
मनसा से पंजाबी गायक सिद्धू मुसेवाला चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस के मुसेवाला को आप के डॉक्टर विजय सिंगला ने करारी शिकस्त दी। मनसा विधानसभा मनसा जिले और बठिंडा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। मुसेवाला का मुकाबला पीएलसी के जीवन दास बावा, शिअद के प्रेम कुमार अरोड़ा और आप के डॉ. विजय सिंगला से था। 2017 में मनसा सीट से आप उम्मीदवार नजर सिंह मनशाहिया जीते थे। तब उन्होंने कांग्रेस और अकाली दल के गढ़ में सेंध लगाया था। अब इस बार यह सीट मुसेवाला के आने से चर्चित थी, लेकिन आप ने मुसेवाला के सपनों पर पानी फेर दिया।
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