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सिंगर सुखविंदर को पंजाब सरकार में कैबिनेट रैंक, पहली बार 7 कवि-गायकों को राजगायक की उपाधि, CM चन्नी का ऐलान
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बता दें कि सुखविंदर मशहूर बॉलीवुड सिंगर हैं। इसके अलावा, डॉ. सुरजीत पातर मशहूर पंजाबी राइटर और कवि हैं। सुखविंदर राजगायक हो गए हैं तो डॉ. पातर शिरोमणि साहित्यकार से सम्मानित हुए हैं।
पंजाब सरकार की तरफ से कैबिनेट रैंक देने की घोषणा की गई है। सीएम चन्नी ने कहा कि दोनों शख्सियतों ने पंजाब के सिख इतिहास को यादगार बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। यही वजह है कि पंजाब सरकार उन्हें ये सम्मान दे रही है।
प्रसिद्ध गायक सुखविंदर पंजाब के अमृतसर के रहने वाले हैं। उन्हें स्लमडॉग मिलियेनर के गीत ‘जय हो’ से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इसके लिए बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का अकेडमी अवॉर्ड और ग्रैमी अवॉर्ड भी मिला है।
सिख धर्म की पहली पातशाही गुरु नानक देवजी के 552वें प्रकाश पर्व पर श्री चमकौर साहिब में कार्यक्रम किया गया था। यहां पंजाब सरकार के पर्यटन और संस्कृति विभाग ने सिख इतिहास को दर्शाता दास्तान-ए-शहादत मैमोरियल बनाया है। यहां संगीत कार्यक्रम किया गया।
सीएम चन्नी ने सुखविंदर, डॉ. पातर के अलावा हर्षदीप कौर, जसपिंदर नरूला और दुर्गा रंगीला, मनजिंदर बनी और स्व. दिलजान के योगदान को सराहा और सभी को राजगायक की उपाधि दी।
CM चरणजीत चन्नी ने यह घोषणा चमकौर साहिब स्थित दास्तान-ए-शहादत मेमोरियल में
की। उन्होंने कहा- दास्तान-ए-शहादत को विकसित करने का मेरा सपना पूरा हो गया है। यहां श्री चमकौर साहिब में श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व को मनाने के लिए एक संगीत संध्या का आयोजन किया। साथ ही थीम पार्क की दीर्घाओं में योगदान के लिए हस्तियों को सम्मानित किया।
बता दें कि दास्तान-ए-शहादत की पटकथा पद्यश्री डॉ. सुरजीत पातर ने लिखी है। इसके साथ ही गैलरियों में दिखाई जाने वाली सिख इतिहास की एनिमेशन फिल्में, गीत और टिप्पणियां मुंबई और दिल्ली के स्टूडियो में तैयार की गई हैं।
इस प्रोजेक्ट को पहले थीम पार्क नाम दिया गया था। साल 2006 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने इसका नींवपत्थर रखा गया था। सिख इतिहास और दशम गुरु गोबिंद सिंह के परिवार की बेमिसाल कुर्बानियों को जीवंत करते इस प्रोजेक्ट में विभिन्न गैलरियों में बांटा गया है। हरेक गैलरी अपने आप में गौरवमयी इतिहास संजोए हुए है। इन गैलरियों में यह इतिहास एनीमेशन फिल्मों के जरिए दिखाया जाएगा। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह जी की याद को ये प्रोजेक्ट समर्पित है। डेढ़ दशक से अधर में रुके इस प्रोजैक्ट को बतौर सैर सपाटा और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री रहते हुए चन्नी ने पूरा करने का बीड़ा उठाया था।