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132 साल तक जीने वाली भारत की सबसे उम्रदराज महिला नहीं रहीं, कभी डॉक्टर के पास नहीं गईं..देखीं 5 पीढ़ी
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दरअसल, बसंत कौर जालंधर जिले के साबूवाल गांव की रहने वाली थीं। हैरानी की बात यह थी कि वह कभी भी डॉक्टर के पास नहीं गईं। इतनी उम्र होने के बाद भी उन्हें मीठा खाना पसंद था। ना तो उनको कोई शुगर थी और ना ही ब्लड प्रेशर को लेकर कोई परेशानी थी। बताया जाता है कि बुधवार को उन्होंने परिवार के साथ खाना खाया। फिर कुछ देर बाद पानी पिया और 15 मिनट बाद उनका निधन हो गया।
बता दें कि उनके पति ज्वाला सिंह का 105 साल की उम्र में 1995 में निधन हो गया था। इतना ही नहीं उनके पांच बच्चों का भी निधन हो चुका है। उनका बड़ा बेटा भी 95 साल की उम्र में दुनिया को छोड़ गया। लेकिन वह अभी तक जिंदा थीं, इसलिए वह अक्सर अपने आपको कोसती रहती थीं कि भगवान मुझे भूल गया है, जो अभी तक जीवित हूं। मेरी उम्र तो अब कब की पूरी हो चुकी है। मेरे बाद की दो पीढ़ियों को लोग खत्म हो चुके हैं, लेकिन मैं कब जाऊंगी।
बसंत कौर तीन सदियां देखने वाली देश की पहली महिला हैं। जिनका जन्म 19वीं सदी में हुआ और शादी 20वीं सदी में हुई। 21वीं सदी को देखकर वह दुनिया को अलविदा कह गईं। उन्होंने ब्रिटिश राज से लेकर भारत-पाकिस्तान बंटवारा भी देखा है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि 1947 में भारत-पाकिस्तान लड़ाई के बाद वह अपने बच्चों को लेकर मायके चली गई थीं। जब हम लौटे तो हमारे मुस्लिम पड़ोसी पाकिस्तान चले गए थे।
बसंत कौर के सबसे छोटे बेटे सरदारा सिंह और बहू कुलवंत कौर का कहना है कि हम बड़े किस्मत वाले हैं जिन्हें उनकी सेवा करने का अवसर मिला। वह इतनी उम्र की होने के बाद भी कभी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह पूरे परिवार को हिम्मत देती थीं। उनके रहने से हमें बुरे वक्त में हौसला मिलता था। अब पता नहीं आगे क्या होगा।
बता दें कि बसंत कौर अपने पीछे पूरा भर पूरा परिवार छोड़ गई हैं। उनके परिवार में 12 पौत्र और 13 पौत्रियां हैं। जिनसे आगे 5 पड़पौत्र और 3 पड़पौत्रियां हैं। इनके भी आगे बच्चे हैं। उनका एक पोता है जो अमेरिका में रहता है। वह परिवार में 5वीं पीढ़ी के साथ रह रही थीं। वह सब्जी नहीं खाती थीं सिर्फ दही के साथ रोटी खाती थीं। उनके बेटे सरदारा का कहना है कि बेबे कभी बीमार तक नही हुईं, कोरोना की दोनों लहर उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकीं।