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आसमां में जलता सूरज, नीचे तपती धरती...नंगे पैर मां-बाप के साथ सफर पर मासूम, भावुक करने वाली तस्वीरें
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पहली तस्वीर फरिदाबाद की है। एक पैर से विकलांग यह बच्ची अपने परिवार के साथ पैदल घर को जा रही है। दूसरी तस्वीर 10 साल की एक बच्ची की है। जो नंगे पांव चंडीगढ़ के पास से यूपी के उन्नाव के लिए जाते दिखाई दी।
लुधियाना से पैदल नई दिल्ली पहुंचे यूपी के मजदूर। जिन बच्चों के खेलने-कूदने के दिन हैं, उन्हें ऐसे बोझ ढोना पड़ रहा है।
यह तस्वीर गुरुग्राम में सामने आई थी। मासूम बच्ची को साइकिल पर बैठाकर घर की ओर जाता पिता।
यह तस्वीर बिहार की है। खाने के लिए लाइन में लगे बच्चे।
चलते-चलते जब थक गई मां..तो सड़क किनारे लेट गई। मासूम परेशान है कि उसे और कितना पैदल चलना पड़ेगा।
यह तस्वीर बिहार की है। प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई श्रमिक ट्रेन में चढ़ने से पहले मासूम बच्ची के हाथ धुलवाता एक पुलिसकर्मी।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। बेबस पिता के कंधे पर बैठा मायूस बच्चा।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। इन बच्चों को कितना और पैदल चलना पड़ेगा..मां-बाप कैसे समझाते?
खेलने-कूदने और मस्ती करने के दिनों में इन मासूमों को हजारों भीड़ के साथ बस चलते जाना है। छोटे बच्चे मां की गोद से चिपके हैं। जो थोड़ा-बहुत भी चल सकते हैं, वे पैर घिसटते हुए चले जा रहे हैं।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। यह मजदूरों के बच्चों की व्यथा खुद कह देती है।
यह तस्वीर लुधियाना से पैदल यूपी के हरदोई स्थित अपने गांव के लिए निकले मजदूरों की है। ये जब दिल्ली पहुंचे, तो एक बच्ची अपनी गुड़िया के साथ बैठी नजर आई। मां-बाप ने बच्ची को बहलाने के मकसद से गुड़िया पकड़ा दी, ताकि उसे भीड़ से घबराहट न हो।
यह तस्वीर नोएडा से सामने आई थी। अपने बच्चों के साथ पैदल घर को निकली मां जब थककर सड़क पर बैठ गई, तो बच्चे उससे पूछने लगे-मां और कितना चलना होगा?
पैदल जाते मजदूरों को जहां भी जगह मिलती, वे वहां आराम करते दिखाई दे सकते हैं।