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पिता को अकेले खेतों में देखकर दु:खी होती थीं स्कूल जाने वालीं बहनें, फिर लिया यह फैसला
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सिमरन कौर 12वीं, जबकि प्रदीप कौर 11वीं की छात्रा हैं। दोनों पढ़ाई में भी अव्वल हैं और अब खेती-किसानी में भी शानदार काम कर रही हैं। इनके पिता दिलबाग सिंह कहते हैं कि बेटियों के खेत संभालने से वे बेफिक्र हो गए हैं। फसल बेचने की जिम्मेदारी वे उठा रहे हैं। आगे पढ़िए-बेरोजगार बैठने से अच्छा है इन कामों में हाथ आजमाएं और पैसा कमाएं
भिलाई, छत्तीसगढ़. यह कहानियां महिला समूहों से जुड़ी हैं। ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) की शुरुआत की गई है। जो महिलाएं इस मिशन से जुड़कर आत्मनिर्भर होना चाहती हैं, वे इसके प्रभारी लोचन दास से 9098993071 नंबर पर संपर्क कर सकती हैं। इस योजना के तहत महिलाओं को मुर्गी-बकरी और मछलीपालन के अलावा खेती-बाड़ी से संबंधित अन्य कार्यों के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है। आगे पढ़ें-पति ने छोड़ी मल्टीनेशनल कंपनी, पत्नी ने एयरहोस्टेस की जॉब...दोनों लंदन छोड़कर गांव में कर रहे खेती-किसानी
पोरबंदर, गुजरात. हम आपको एक ऐसे युवा किसान दम्पती से मिलवा रहे हैं, जो लंदन की लग्जरी लाइफ और ऊंची नौकरी छोड़कर अपने गांव लौट आए। अब वे गांव में खेती-किसानी और पशुपालन कर रहे हैं। यह हैं रामदे और भारती खुटी। ये पोरबंदर जिले के बेरण गांव में रहते हैं। इनका तर्क है कि लंदन में लग्जरी लाइफ होते हुए भी सुकून नहीं था। गांव में खेती-किसानी करते हुए उन्हें आनंद मिल रहा है। वहीं, पैसा भी नौकरी से ज्यादा कमा रहे हैं। रामदे और भारती अपना यूट्यूब चैनल ‘लाइव विलेज विथ ओम एंड फैमिली’ चलाते हैं। इससे लाखों किसान, युवा आदि जुड़े हुए हैं। यह दम्पती लोगों को खेती-किसानी और पशुपालन के तौर-तरीके बताता है। इस दम्पती को गाय-भैंस का दूध निकालते देख, चूल्हे पर रोटी बनाते देख लोग आश्चर्य करते हैं। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
रामदे बताते हैं कि वे 2006 में नौकरी के सिलसिल में लंदन गए थे। वहां अच्छी नौकरी मिल गई। 2008 में वे भारत लौटे और उनकी शादी भारती से हुई। तब भारती राजकोट में एयरपोर्ट प्रबंधन और एयर होस्टेस का कोर्स कर रही थी। 2010 में भारती भी पढ़ाई पूरी करके रामदेव के साथ लंदन शिफ्ट हो गई। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
भारती बताती हैं कि उन्होंने लंदन से इंटरनेशनल टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट की डिग्री पूरी की। फिर ब्रिटिश एयरवेज के हीथ्रो एयरपोर्ट से हेल्थ एंड सेफ्टी कोर्स भी पूरा किया। इसके बाद वहीं अच्छी जॉब मिल गई। दोनों वहीं सेटल होने का मन बना रहे थे। लेकिन अंदर से कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। 2014 में दम्पती के बेटे ओम का जन्म हुआ। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
रामदे के बुजुर्ग माता-पिता गांव में ही रहते थे। उनके स्वास्थ्य को लेकर उन्हें अकसर चिंता होती थी। आखिरकार उनकी फिक्र और अपने गांव में ही रहकर खेती-किसानी करने की ललक दम्पती को अपने देश खींच लाई। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
यह और बात है कि जब यह दम्पती गांव लौटा, तो लोगों ने हंसी उड़ाई। भारती तब ब्रिटिश एयरवेज में एक प्रशिक्षु एयर होस्टेस के रूप में कार्यरत थीं। वहीं, रामदे एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर। दम्पती 2015 में लंदन छोड़कर गांव लौट आया। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
बेरण गांव में 200 से ज्यादा किसान परिवार रहते हैं। लेकिन वे सभी रासायनिक खाद के इस्तेमाल से खेतीबाड़ी कर रहे थे। रामदे और भारती ने उन्हें इसका नुकसान बताया और जैविक खेती की ओर अग्रसर किया। शुरुआत में तो गांववालों ने उनकी बात मानने से मना किया, लेकिन फिर जब देखा कि यह दम्पती सफल हो रहा है, तो वे उनके संग हो लिए। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
रामदे और भारती खुद अपने खेतों को संभालते हैं। वे जैविक तरीके से मूंगफली, जीरा, धनिया, तिल, ज्वार और पशुओं के लिए चारा उगाते हैं। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
भारती पशुओं को भी संभालती हैं। दूध दुहती हैं और उन्हें चारा-पानी डालती हैं। दम्पती का मानना है कि इससे अच्छी लाइफ और कोई नहीं हो सकती है। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
रामदे और भारती ने 2017 में अपना यू-ट्यूब चैनल ‘लाइव विलेज विथ ओम एंड फैमिली’ लांच किया था। दम्पती इसके जरिये गांव की खूबसूरत जीवनशैली और खेती-किसानी-पशुपालन के बारे में बताते हैं। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
रामदे और भारती ने शुरू में 8 लाख रुपए का सालाना मुनाफा कमा रहे थे। अब यह बढ़कर दोगुने से ज्यादा हो गया है। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
यह किसान दम्पती अब अपने गांव में बहुत खुश है। उनका कहना है कि गांव से बेहतर और खेती-किसानी से अच्छा कोई काम-धंधा नहीं हो सकता है। आगे पढ़ें इसी किसान दम्पती की कहानी...
रामदे और भारती दम्पती किसानों के लिए आदर्श बनकर सामने आए हैं।