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राजस्थान का चमत्कारी मंदिर जहां माता को चढ़ाई जाती है ढाई प्याला शराब, एक बूंद भी कम हुई तो नहीं होता स्वीकार
नागौर : देश में चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) की धूम है। माता मंदिरों में भक्तों के जयकारे ही सुनाई दे रही है। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का तांता लगा है। भक्त पूजा-पाठ आरती कर माता को प्रसाद में फल-फूल चढ़ा रहे हैं। लेकिन राजस्थान में माता का एक ऐसा चमत्कारिक मंदिर है, जहां प्रसाद में फल-फूल नहीं बल्कि ढाई प्याला शराब चढ़ाई जाती है। कहा जाता है कि अगर इस प्याले में एक बूंद भी शराब कम हुई तो माता इस प्रसाद को स्वीकर नहीं करती। पुजारी बताते हैं कि जो भी भक्त साफ नियत से माता को भोग लगाता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर है भंवाल माता की। यहां मां काली विराजमान हैं। जानिए इस माता मंदिर की पूरी कहानी...
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भंवाल माता मंदिर (Bhanwal Mata temple) नागौर (Nagaur) के मेड़ता से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित भुवाल गांव में है। यह मंदिर अपने अनूठे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में माता की काली और ब्राह्मणी दो स्वरूप में विराजमान है। श्रद्धालु दूर-दूर से माता दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। यहां हर साल नवरात्रि में मेला लगता है। मंदिर प्रांगण के शिलालेख के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1119 में हुआ था।
इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर माता को ढाई प्याला शराब चढ़ाई जाती है। खास बात ये है कि अगर इस प्याले में एक बूंद भी प्रसाद कम हो तो माता इसे ग्रहण नहीं करती हैं। बताया जाता है कि देवी मां के मुख से शराब से भरे चांदी के प्याले को लगाते ही शराब अपने आप गायब हो जाती है। पुजारी ऐसा तीन बार करते हैं। तीसरी बार प्याला आधा खाली हो जाता है।
यहां के पुजारी बताते हैं कि आज तक कोई यह पता नहीं लगा पाया कि प्याले की शराब कहां जाती है और कैसे गायब हो जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं। सभी इसे माता काली का चमत्कार मानते हैं। हर दिन भक्त यहां दर्शन करने आते हैं।
माता मंदिर में एक शिलालेख है जो काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि इसे 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया है। मंदिर की दीवारों पर प्राचीन काल की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। इन मूर्तियों में यक्ष, गंधर्व, किन्नर और देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। यह मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
यहां के लोग बताते हैं कि एक समय की बात है जब कई डाकू लूटपाट करने के बाद इसी जगह लूट का सामान आपस में बांटने लगे। तभी वहां राजा के सैनिक पहुंच गए और उन्होंने डाकुओं को घेर लिया। मौत को सामने देख डाकुओं ने माता को याद किया, तभी मां वहां प्रकट हो गईं और सभी डाकुओं को भेड़-बकरी बना दिया, जिससे उनकी जिंदगी बच गई। इसके बाद इन्हीं डाकुओं ने यहां माता के मंदिर का निर्माण कराया।