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भाई के शहीद होने की खबर रातभर दिल में दबाए रखी रही बहन, माता पिता को बताने की नहीं कर पाई हिम्मत
चूरू ( राजस्थान). तीन दिन पहले जम्मू कश्मीर के करनाल हिमस्खलन के कारण शहीद हुए राजस्थान के 21 वर्षीय लाल कमल कुमार का उनके गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जहां उननी इकलौती बहन प्रमिला ने कंधा देकर बाद में मुखाग्नि भी दी।
| Published : Dec 07 2019, 06:16 PM IST / Updated: Dec 07 2019, 06:41 PM IST
भाई के शहीद होने की खबर रातभर दिल में दबाए रखी रही बहन, माता पिता को बताने की नहीं कर पाई हिम्मत
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झुंझुनूं के लाडले शहीद कमल कुमार धींधवाल का जैसे ही शव गांव पहंचा तो बहन अपने आपको नहीं रोक पाई और फूट-फूटकर रोने लगी।
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बता दें कि शुक्रवार दोपहर झुंझुनूं का लाडला तिरंगे में लिपटे हुए पहुंचा था। शहीद कमल की पार्थिक देह को हेलीपेड स्थल से फूलों से सजी खुली गाड़ी में घर लाया गया। जहां सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें अंतिम सलामी दी।
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जानकारी के मु्ताबिक, भाई के शहीद होने की खबर बहन प्रमिला को टीवी चैनल के जरिए बुधवार की शाम में लग गई थी। लेकिन वह इस दर्द को रातभर अकेली सहती रही। उसने माता-पिता को इस बारे में इसलिए नहीं बताया कि वह खाना नहीं खाएंगी और पता नहीं उनका क्या होगा। अगले दिन वह फिर कॉलजे भी चली गई। लेकिन अखबार के जरिए घरवालों को आखिर पता चल ही गया।
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शहीद की पार्थिक देह की खबर लगते ही उनके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे। हर तरफ भारत माता के जयकारे और जय जवान अमर रहे के नारे लग रहे थे। शहीद के पिता रिटायर्ड फौजी पिता धर्मेन्द्र कुमार अपनी इकलौते बेटे के गम बेटी को गले लगाकर बिलख-बिलखकर रो रहे थे।
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देखते ही देखते शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। करीब 4 किलोमीटर तक निकली तिरंगा यात्रा में युवाओं का देशभक्ति का जज्बा सिर चढ़कर बोल रहा था।
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शहीद भाई को जैसे ही बहन ने मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद हजारों लोगों की आंखों से आंसू निकल आए। बता दें कि प्रमिला एसटीसी कर रही है। वह एथलेटिक्स में नेशनल स्तर पर खेल चुकी है।
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शहीद कमल धींधवाल का जन्म 25 दिसंबर 1998 को हुआ था। वह 21 साल के कमल का आर्मी में चयन 13 जून 2018 में हुआ था। वह 22 नवंबर को छुट्टी पर घर आने वाले थे, लेकिन अंतिम समय में उनकी छुट्टियां रद्द हो गईं थी। कमल -जाट रेजीमेंट में तैनात थे।