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सूरत हादसा: एक परिवार के 5 लोगों की मौत: बूढ़े मां-बाप चीख रहे जो कमाते थे चले गए..अब कैसे जिंदा रहें

बांसवाड़ा (राजस्थान). सोमवार मंगलवार दरमियानी रात गुजरात के सूरत में हुए हादसे में 15 लोगों की जिंदगियां खत्म हो गईं। यह सभी मजदूर मूल रुप से राजस्थान के रहने वाले थे जो, दो वक्त की रोटी कमाने के लिए गुजरात गए हुए थे।इस हादसे में कई परिवार तबाह हो गए, किसी ने पिता को खो दिया तो किसी की मां की मौत हो गई। लेकिन सबसे ज्यादा गहरा जख्म और दर्द उस परिवार को मिला है, जिसके इस हादसे में एक साथ पांच लोग मारे गए। बांसवाड़ा के भगतपुरा गांव में इस वक्त मातम पसरा हुआ है, हर किसी की आंखे नम हैं। पढ़िए बेटे-बहू की मौत के बाद बूढ़े मां-बाप का दर्द... 

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Asianet News Hindi
Published : Jan 19 2021, 05:54 PM IST
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दरअसल, भगतपुरा गांव के रहने वाला मुकेश 20 दिन पहले परिवार के साथ मजदूरी के लिए सूरत गया था। यहां वह अपनी पत्नी के सात दिन में दिहाड़ी करके रात को फुटपाथ पर अपना आशियाना बनाकर सो जाता था, लेकिन यही आशियाना उसकी मौत की वजह बन गया। काल बनकर आया एक ट्रक उसके साथ साथ उसकी पत्नी लीला (25), बहन मनीषा (18), वनीता (12) और एक बच्ची को भी उड़ाकर ले गया। पांचों के शव एक-दूसरे के पास खून से लथपथ हालत में पड़े थे। यह दर्दनाक सीन देखने वालों का भी दिल दहल गया।
 

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मृतक मुकेश के घर भगतपुरा में दिलासा देने वालों की भीड़ लग रही है। जहां मातम की चीखें सुनाई दे रही हैं, जो बूढ़े मां-बाप अपने जवान बेटे-बहू-बेटी और पोता-पोती  के जाने से बिलख रहे हैं। उन्होंने जिस बेटे को दो वक्त की रोटी कमाने के लिए भेजा था, अब वहीं बेटा इस दुनिया को छोड़कर चला गया। माता-पिता कहते हैं कि हम किसके सहारे जिएंगे, हम ना तो पढ़े लिखे हैं और ना ही काम करने की उम्र रही। पूरा परिवार सिर्फ मुकेश की कमाई पर ही गुजारा कर रहा था।

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मुकेश के छोटो भाई मनीष ने बताया कि भाई से आखिरी बार एक दिन पहले रविवार की शाम 7 बजे बात हुई थी। जहां उन्होने कहा था कि यहां कोई खास काम धंधा नहीं मिल रहा है, किसी तरह बस गुजारा हो पा रहा है। जल्दी ही हम लोग घर आने वाले हैं। लेकिन एक दिन बाद ही उनके मरने की खबर मिली। बता दें कि मुकेश के परिवार में अब माता-पिता और भाई के अलावा एक छोटी बच्ची बची हुई है

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वहीं गांव के लोगों ने मीडिया से बात करते हुआ कहा कि भगतपुरा गांव में पानी की कमी रहती है, इसलिए यहां खेती ठीक से नहीं हो पाती है। अक्सर  यहां के मजदूर काम करने के लिए शहरों की तरफ चले जाते हैं। गुजरात यहां से सबसे पास पड़ता है और वहां पर काम मिल जाता है तो यह मजदूर वहीं चले जाते हैं।

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सूरत हादसे  की वह तस्वरी जहां पर राजस्थान के करीब 20 से ज्यादा मजदूर इसी फुटपाथ को अपना आशियाना बनाकर सोए थे। लेकिन दुर्भाग्य बस नींद में ही 15 लोगों की मौत हो गई।

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