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राजस्थान के वीर सपूत को सैल्यूट करने उमड़ी भीड़, पत्नी ने हाथ में तिरंगा लेकर पति को दी विदाई तो हर कोई रोया
सीकर. देश भक्ति का जज्बा शेखावाटी के कण- कण व हर मन में है। फिर हालात चाहे जैसे भी हो। इसकी बानगी ये तस्वीर है। जो भारत- चीन सीमा पर सरहद की सुरक्षा करते हुए प्राण न्योछावर करने वाले राजस्थान के सीकर जिले के कल्याणपुरा निवासी जवान शहीद प्रभु सिंह की वीरांगना सुमन की है। शनिवार को जवान का शव अंत्येष्टि स्थल ले जाया गया तो सुमन खुद भी वहां पहुंची। जहां अंतिम संस्कार में हाथ में तिरंगा लेकर उसने अपने पति को अंतिम सलामी दी।
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भारत माता के जयकारो से गूंजा इलाका
अपने वीर जवान को अंतिम विदाई देने के लिए हर कोई पहुंचा हुआ था। यह नजारा देख अंत्येष्टि स्थल पर हर किसी का सीना गर्व से भर उठा। लोग जवान व भारत माता के जमकर जयकारे लगाने लगे। सभी ने शहरी को सैल्यूट कर अंतिम विदाई दी।
सुबह पहुंचा शव, 12 किलोमीटर निकली तिरंगा यात्रा
इससे पहले सूबेदार मेजर प्रभू सिंह की पार्थिव देह सुबह करीब पांच बजे दिल्ली एयरपोर्ट से अजीतगढ़ पुलिस थाने पहुंची। जहां से तिरंगा यात्रा के बीच जवान के पार्थिव देह को गांव तक ले जाया गया। करीब 12 किलोमीटर तक सैंकड़ों लोग इस दौरान जयकारे लगाते हुए शामिल हुए। घर पहुंचते- पहुंचते हजारों लोगों की भीड़ गांव में उमड़ पड़ी। पारिवारिक रस्मों के बाद जवान की पार्थिव देह को अंत्येष्टि स्थल ले जाया गया।
जब बेटे ने पिता की चिता को दी आग तो हर कोई रोने लगा
जहां भी शहीद अमर रहे व भारत माता के जयकारों व गार्ड ऑफ आनर के बीच जवान के बेटे अजय ने मुखाग्नि देकर पिता का अंतिम संस्कार किया। यह नजारा जिसने भी देखा उसकी आंखों में आंसू आ गए। किसी तरह लोगों ने शहीद के बेटे और पत्नी को संभाला।
10 अप्रेल को शादी में आना था गांव, एक दिन पहले पहुंचा शव
राजस्थान के सीकर जिले के अजीतगढ़ थाना इलाके के कल्याणपुरा गांव निवासी सुबेदार मेजर प्रभु सिंह सिक्किम में भारत- चीन बॉर्डर पर ऊंचाई पर स्थित एक चौकी पर तैनात थे। जहां छह अप्रेल को सीने में दर्द के बाद उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी।
छुट्टी पर आने वाले थे घर...लेकिन अब आया शव
जानकारी के अनुसार सूबेदार प्रभु सिंह 1996 मे सेना में भर्ती हुए थे। एक साल बाद 1997 में उनकी शादी हुई थी। दो बच्चों के पिता सूबेदार बेटी को शिक्षक व बेटे को चिकित्सक बनाना चाहते थे। दो भाइयों में बड़े सूबेदार प्रभु सिंह के चार बहने हैं। छोटा भाई किसान है। परिवार में शादी होने की वजह से 10 अप्रैल को वह छुट्टी पर घर लौटने वाले थे। लेकिन, कुदरत ने ऐसा खेल रचा कि एक दिन पहले उनकी पार्थिव देह घर पहुंची।
शहीद के दर्जे की मांग, तय करेगी कमेटी
इधर, परिजनों व ग्रामीणों ने जवान को शहीद का दर्जा देने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रभू ङ्क्षसह चीन बॉर्डर पर दुर्गम स्थान पर तैनात थे। जिन्होंने सरहद की सुरक्षा करते हुए प्राण त्यागे हैं। लिहाजा उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। मामले में पार्थिव देह के साथ पहुंचे सैन्य अधिकारियों का कहना था कि इस संबंध में एक कमेटी बिठाई जाएगी। जो ही इस संबंध में फैसला लेगी।