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वीरभूमि है राजस्थान की धरती: जानिए कब बना था ये प्रदेश, कौन था राज्य का पहला मुख्यमंत्री
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बताते चले कि राजस्थान की पश्चिमी सीमाएं पाकिस्तान से लगती हैं। आजादी के पहले राजस्थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता था। पूरे राजपूताना में 19 रियासतें और 3 ठिकाने थे। इन रियासतों और ठिकानों के एकीकरण के बाद 30 मार्च 1949 को राजस्थान बना। इन रियासतों का एकीकरण सात चरणों में पूरा हुआ। इसमें इसमें करीब 8 साल 7 महीने 14 दिन का समय लगा था।
राजस्थान का गर्वीला इतिहास आज भी हर राजस्थानी में आगे बढ़ने का जोश भर देता है। कला-संस्कृति हो, या व्यापार। चाहे खेल की बात करो या खेती की राजस्थानी किसी से कम नहीं हैं। वहीं, इंग्लैंड के विख्यात कवि किप्लिंग ने लिखा था, दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियां मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान कहा जा सकता है।
जैसलमेर का पोकरण लाल पत्थरों से निर्मित दुर्ग के कारण मशहूर और अब इसकी पहचान भारत की एमटी एटमी ताकत की भूमि के रूप में भी है। यहां पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 को किया गया था। इसके बाद 11 और 13 मई 1998 को भी यहां परीक्षण किए गए।
भारत की आजादी के समय यह सोचा जा रहा था कि राजस्थान को आजाद भारत का प्रांत बनाना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक मुश्किल काम होगा। आजादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़-सी लगी थी।
यहां की 22 रियासतों और ठिकानों में एक रियासत अजमेर मेरवाड़ा प्रांत को छोड़कर सभी पर देशी राजा-महाराजाओं का ही राज था। अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत पर अंग्रेजों का कब्जा था। इस कारण ये सीधे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष 21 रियासतों का विलय कर ‘राजस्थान' बनाया जाना था।
इन रियासतों के शासकों की मांग थी कि वे सालों से अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को 'स्वतंत्र राज्य' का दर्जा दे दिया जाए। 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में एक नवंबर 1956 को पूरी हुई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वीपी मेनन की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
राजस्थान के पहले सीएम हीरा लाल शास्त्री थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे और उनका कार्यकाल 7 अप्रैल 1949 से 5 जनवरी 1951 तक था। बताते हैं कि हीरालाल शास्त्री का जन्म 24 नवम्बर 1899 को जयपुर जिले में जोबनेर के एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा जोबनेर में हुआ था। साल 1920 में उन्होंने साहित्य-शास्त्री की डिग्री प्राप्त की थी। 1921 में जयपुर के महाराजा कालेज से बीए किया और वे इस परीक्षा में सर्वप्रथम आए। 1921 में वे जयपुर राज राज्य सेवा में आ गए थे और बड़ी तेजी से उन्नति करते हुए गृह और विदेश विभागों में सचिव बने थे, फिर भी 1927 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। प्रशासनिक सेवा के दौरान उन्होंने बड़ी मेहनत, कार्यकुशलता और निर्भीकता से काम किया था।
राजस्थान की धरती पर रणबांकरों ने जन्म लिया है। यहां वीरांगनाओं ने भी अपने त्याग और बलिदान से मातृभूमि को सींचा है या धरती का वीर योद्धा कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान ने जन्म लिया, जिन्होंने तराइन के प्रथम युद्ध में मुम्मद गौरी तो पराजित किया।
कहा जाता है कि गौरी ने 18 बार पृथ्वी पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था, जिसमें 17 बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी ने तो हाथों से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जब़़ा फाड़ डाला था।
राणा सांगा ने सौ से भी ज्यादा युद्ध लड़कर साहस का परिचय दिया दिया था। पन्ना धाय के बलिदान के साथ के बलिदान के साथ बुलंदा पाली के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी वाघेली का बलिदान भी अमर है।
जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं। इन सब के अलावा आज भी राजस्थान की ये धरती भारतीय सेना को बड़ा संख्या में सैन्य कर्मी उपलब्ध कराती है।