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Facebook बदलने जा रहा अपना नाम ! वर्चुअल दुनिया में होगा रियलिटी का अहसास, देखें क्या है मेटावर्स
टेक डेस्क । दुनियाभर में नाम कमा चुकी फेसबुक अपना नाम बदलने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फेसबुक मेटावर्स बनाने पर तेजी से काम कर रही है। इसके लिए कंपनी अपने नए नाम का ऐलान कर सकती है। हालांकि फेसबुक ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। Mark Zuckerberg ने हाल के दिनों में ये ऐलान किया था कि हम एक सोशल मीडिया कंपनी से आगे बढ़कर 'metaverse' कंपनी बनेंगे और Embedded Internet' पर काम करेंगे। जिसमें प्राकृतिक और आभासी दुनिया को पहले से अधिक कनेक्ट कर पाएंगे। देखें कैसे फेसबुक की दुनिया में जल्द ही आपको सुगंध और छूने का अहसास होगा...
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नए नाम का जल्द हो सकता है ऐलान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फेसबुक कंपनी के CEO मार्क जुकरबर्ग कंपनी की वार्षिक बैठक में फेसबुक के नए नामकरण का ऐलान कर सकते हैं। जुकरबर्ग फेसबुक को अगले कुछ सालों में लोग मेटावर्स कंपनी के तौर पर विकसित करने का प्लान कर रहे हैं।
दरअसल मार्क जुकरबर्ग अपने सारे ऐप जैसे इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप और ओकुलस को एक ही जगह लाने की योजना बना रहे हैं। मार्क जुकरबर्ग ने हाल के दिनों में ये ऐलान किया था कि हम एक सोशल मीडिया कंपनी से आगे बढ़कर 'मेटावर्स' कंपनी बनेंगे और 'Embedded Internet' पर काम करेंगे। जिसमें प्राकृतिक और आभासी दुनिया को पहले से अधिक कनेक्ट कर पाएंगे।
फेसबुक 10 हजार नई भर्तियां करेगी
मार्क जुकरबर्ग के नेतृत्व वाली कंपनी ने अपने मेटावर्स विकास के लिए दुनियाभर में हजारों लोगों को नौकरी भी देगी। तकरीबन 10 हजार लोगों की भर्ती फेसबुक करेगा। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के मुताबिक वो मेटावर्स डेव्लपमेंट के लिए पांच साल में बड़े स्तर भर्ती करेंगे। ये जॉब फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड, पोलैंड और स्पेन सहित अन्य देशों में ऑफरकी जाएंगी।
मेटावर्स मतलब आभासी दुनिया को फील करना
मेटावर्स को समझने के लिए आपको वर्चुअल दुनिया को समझना होगा। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि मौजूदा दौर में अभी लोगों ने टेलीविजन, वीडियो गेम, ऑनलाइन गेम में वर्चुअल दुनिया को महसूस किया है। लोगों ने अपने जेहन में वर्जुअल रियलिटी टेक्नोलॉजी को डेवलप कर लिया है।
इसका सीधे अर्थों में मतलब है कि आप ऐसी चीजों को देख पाते हैं जो आपके सामने हैं ही नहीं। वहीं भविष्य में इस टेक्नोलॉजी के एडवांस वर्जन से चीजों को छूने और उसकी सुगंध का अहसास कर पाएंगे। इसे ही मेटावर्स कहा जा रहा है। बता दें कि साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल 1992 में अपने नोबेल 'स्नो क्रैश' में किया था।
मेटावर्स को तैयार होने में लगेगा लंबा वक्त
फेसबुक की मानें तो मेटावर्स को तैयार करन में एक दशक से ज्यादा का वक्त लगेगा। मेटावर्स के विकास के लिए कुछ कंपनियों ने 50 मिलियन डॉलर (लगभग 376 करोड़ रुपए) की फंडिंग की है। कंपनी के सूत्रों के मुताबिक इसे तैयार होने में 10 से 15 साल का समय लगेगा।
फेसबुक के पास हैं दुनिया की बेहतरीन लैब क्षमता
मेटावर्स बनाने की दिशा में फेसबुक आगे बढ़ सकती है, उसके पास पर्याप्त संसाधन है, फेसबुक का कॉर्क आयरलैंड में एक रियलिटी लैब है। वहीं उसने फ्रांस में एक AI (ऑग्मेंटेड रियलटी) रिसर्च लैब भी ले रखी है। । 2019 में फेसबुक ने AI एथिकल रिसर्च सेंटर बनाने के लिए म्यूनिख की टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया है। वहीं फेसबुक अगले कुछ सालों में जिन लोगों को नौकरी देगी उनमें हाईली स्पेशलाइज्ड इंजीनियर्स शामिल होंगे।
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