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97 साल की महिला को 10,505 लोगों की हत्या के मामले में सजा, 18 साल की उम्र में कर दी थी ये गलती
ट्रेंडिंग डेस्क. जर्मनी की एक कोर्ट का फैसला पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां एक महिला को 79 साल बाद 10,505 लोगों की मौत के मामले में हत्यारों का सहायक मानते हुए सजा सुनाई गई है। हैरानी की बात ये है कि महिला की उम्र 97 वर्ष है। एनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी की इस महिला का नाम है इमगार्ड फर्चनर। 1943 में इस महिला की उम्र 18 वर्ष थी और तब इसने नाजियों द्वारा बनाए गए यातना शिविर में काम करना शुरू किया था। उस दौर में ये महिला कमांडरों के आदेशों को टाइप करती और यातना शिविर में रखे जाने वाले यहूदियों का रिकॉर्ड रखती थी।
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जर्मन कोर्ट के मुताबिक महिला का गुनाह ये है कि उसने यातना शिविर 'ट्रुथऑफ' (Truthoff) में क्रूरता से मारे जाने वाले लोगों का लेखा-जोखा रखने का काम किया। उनपर क्या कार्रवाई की जानी है और क्या हुआ इन सब बातों को वह टाइप करती थी। ऐसे में कोर्ट ने इमगार्ड फर्चनर को 10,500 यहूदियों को को क्रूरता से मारने वालों का सहायक माना।
रिपोर्ट में बताया गया कि नाजियों के इन यातना शिविर में यहूदियों को नरक से भयानक सजाएं दी जाती थीं। जहरीले इंजेक्शन के साथ-साथ, पेट्रोल और फिनाइल के इंजेक्शन देकर भी लोगों को मार दिया जाता था। कुछ लोगों से कहा जाता कि वे आजाद हैं और जल्दी से यहां भाग जाएं फिर उनकी पीठ पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी जातीं। यातना शिविर में लोगों को जलाने के लिए भी शवदाह गृह बनाया गया था क्योंकि इतनी भारी संख्या में लोगों को दफनाने की जगह नहीं होती थी।
फर्चनर को सजा दिए जाने पर उनके वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनके खिलाफ जो सबूत पेश किए गए हैं उनसे साबित नहीं होता कि वो यहूदियों को मारने की या यातना देने के काम में शामिल होने की इच्छा रखती थी। इसपर कोर्ट ने फर्चनर के वकील को कहा कि महिला को उन आदेशों के लिए सजा दी गई है जो उसने यातना शिविर में वहां के कमांडर के लिए टाइप किए थे। इन्हीं आदेशों का पालन करते हुए हजारों लोगों को मार दिया गया था।
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