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Ahmedabad Blast Case: सीरियल बम ब्लास्ट से दहल गया था पूरा देश, तस्वीरों में जानें उस दिन क्या हुआ था
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साल 2008 में 26 जुलाई के दिन सभी लोग बाजारों में रौकन थी, लोग अपने कामों में लगे हुए थे. सब आने वाले खतरे से अनजान थे. शाम साढ़े बजे का वक्त था कि अचानक एक विस्फोट हुआ, जब तक लोग वहां से भागते और कुछ समझने के कोशिश करते, तब तक एक के बाद एक कई विस्फोट हुए. तकरीबन 56 मिनट तक विस्फोट हुआ और सबकुछ तबाह हो गया है. धमाके बाद घटना स्थल पर बेहद ही खौपनाक मंजर था, यहां पर चीखने और चिल्लाने की आवाज से पूरा देश दहल गया था. इस घटना में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
वारदात के बाद पुलिस और सरकार हरकत में आ गई. पुलिस ने तकरीबन 35 प्राथमिकी दर्ज की थी, इसके अलावा कई जगहों पर जिंदा बम भी बरामद किये थे. पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई में 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच 29 बम को जब्त किया था. दरअसल ये बंद उसी दिन लगाए गए थे, लेकिन डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हुआ था. इस बात का खुलासा जांच में हुआ था.
गुजरात पुलिस के सामने चुनौती बहुत बड़ी थी, क्योंकि उसी दौरान आतंकवादी समूह 'इंडियन मुजाहिदीन' के हस्ताक्षर वाले सीरियल विस्फोटों की कई घटनाओं का पता नहीं चला था, जिसमें बेंगलुरु (Bengaluru), जयपुर (Jaipur), मुंबई (Mumbai), वाराणसी (Varanasi)में विस्फोट शामिल थे। जांच गुजरात में हुए इन विस्फोटों के मामलों को डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच, अहमदाबाद सिटी की विशेष टीमों को क्राइम ब्रांच पुलिस कमिश्नर आशीष भाटिया की अध्यक्षता में सौंपा गया।
15 अगस्त 2008 को गुजरात पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जिससे इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की साजिश का पता चला। सिमी के तत्कालीन सदस्यों ने पाकिस्तान (Pakistan) में मौजूद एजेंसियों और अंडरवर्ल्ड की मदद से भारत में सिलसिलेवार विस्फोटों को अंजाम दिया था।जांच में आगे पता चला कि अहमदाबाद विस्फोटों की योजना बनाने वाले इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने मई 2008 के दूसरे हफ्ते में अहमदाबाद के वटवा इलाके में एक घर किराए पर लिया था। इसे अहमदाबाद के रहने वाले जाहिद शेख ने किराए पर लिया था।
अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट और सूरत से बिना फटे बमों की बरामदगी में निर्दोष लोगों की जान गई। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने गुजरात ही नहीं देश से आतंकी गतिविधियों को खत्म करने पर विचार किया। गुजरात सरकार के नेतृत्व में मामलों का पता लगाने और इन आतंकियों को गिरफ्तार करने के लिए एक विशेष पुलिस टीम बनाया गया।
तत्कालीन जेसीपी क्राइम के नेतृत्व में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम का गठन किया गया। आशीष भाटिया ने इसमें मदद की। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की इस विशेष टीम ने 19 दिनों में मामले का पर्दाफाश किया था और 15 अगस्त 2008 को गिरफ्तारी का पहला सेट बनाया था।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी। दिसंबर 2009 में शुरू हुए इस मुकदमे में 1100 लोगों की गवाही हुई। सबूत नहीं मिलने की वजह से 28 लोगों को बरी कर दिया गया। सरकारी वकीलों में एचएम ध्रुव, सुधीर ब्रह्मभट्ट, अमित पटेल और मितेश अमीन ने दलीलें दीं, जबकि बचाव पक्ष से एमएम शेख और खालिद शेख आदि ने दलील दीं। करीब 13 साल तक इस मामले की जांच और सुनवाई चली है। लॉकडाउन के दौरान भी इस मामले की सुनवाई लगातार चलती रही। देश में पहली बार एक साथ 49 आरोपियों को आतंकवाद के गुनाह में दोषी ठहराया गया है। मामले की पूरी सुनवाई में अब तक सात जज बदल गए। अब आज इस केस के गुनहगारों को सजा दी जाएगी।