अल्लाह माफ करे.. कैसी गुजरी थी कसाब की आखिरी रात, अम्मी को लेकर क्या कहा था इस आतंकी ने
मुंबई। आतंकी अजमल कसाब का आज जन्मदिन है। मुंबई हमले के दोषी इस आतंकी का पूरा नाम अजमल आमिर कसाब था। 21 नवंबर 2012 को उसे फांसी पर लटका दिया गया था। हालांकि, चार साल से उसकी फांसी लटक रही थी, जिससे तत्कालीन सरकार पर सवाल खड़े किए जाने लगे थे। इसके बाद अचानक उसे एक दिन फांसी पर लटका दिया गया और यह सब चुपचाप हुआ। उसकी फांसी की किसी को भनक तक नहीं लगी। उसे फांसी पर लटकाए जाने के बाद सिर्फ मुंबई के लोगों ने नहीं बल्कि, देशभर में जश्न मनाया गया और उस आतंकी घटना में शहीद हुए लोगों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। आइए तस्वीरों के जरिए आज एक बार फिर उसके जन्मदिन पर उस समय को याद करते हैं।

मुंबई हमले के दोषी अजमल आमिर कसाब को 21 नवंबर 2012 की अलसुबह फांसी पर लटका दिया गया। हालांकि, तब उसकी फांसी में चार साल से हो रही देरी को देखते हुए लोगों का आक्रोश सामने आने लगा था।
इसके बाद सरकार ने ऑपरेशन एक्स के तहत उसे 21 नवंबर 2012 को अचानक फांसी दे दी। इसके लिए 20 नवंबर की रात से ही तैयारी की जाने लगी थी, मगर इसकी भनक किसी को भी नहीं लगने दी गई।
इस पूरे ऑपरेशन को बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया था। इसमें अजमल कसाब को 20 नवंबर की रात मुंबई के ऑर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल ले जाया गया। उसे बेहद सुरक्षित तरीके से वहां से निकाला गया।
कसाब को ऑर्थर रोड जेल से यरवडा जेल ले जाने की बात बहुत कम लोगों को पता थी और इसकी जिम्मेदारी मुंबई पुलिस के 17 तेजतर्रार अफसरों को सौंपी गई थी। इस ऑपरेशन की भनक मुंबई पुलिस के टॉप कॉप को ही थी।
अधिकारियों ने बताया था कि मरने से पहले कसाब ने गाना गया था। उसने खाने के लिए टमाटर की फरमाइश की थी। उसकी यह मांग जेल अधिकारियों ने पूरी कर दी थी। इसके बाद बुर्के में उसे जेल में बिठाकर यरवडा जेल ले जाया गया।
रातों रात जेल बदले जाने से कसाब को इस बात का अहसास हो गया था कि यह रात उसके जीवन की आखिरी रात है। इसके बाद वह अगले दिन का सूरज भी नहीं देख सकेगा। वह अंदर ही अंदर काफी डर रहा था।
यरवडा जेल में सुरक्षित पहुंचने पर पुलिस अधिकारियों ने चैन की सांस ली। इसके बाद कसाब से उसकी अंतिम इच्छा के बारे में जाना गया। तब तक यहां फांसी की तैयारियों को लेकर सारे इंतजाम हो चुके थे।
आतंकी अजमल कसाब को अपनी गलतियों का अहसास हो चुका था और पछतावा उसके चेहरे पर साफ झलकता रहता था। अंतिम इच्छा पूछे जाने पर उसने कहा कि उसकी ऐसी कोई इच्छा नहीं है।
इसके बाद उसे कुछ देर सोने के लिए कहा गया। हालांकि, वह सोया नहीं और जागते हुए बाकी का समय गुजारा। सुबह तड़के उसने नमाज अदा की। उसने जुर्म से तौबा करते हुए अल्लाह से माफी मांगी और कहा, दोबारा ऐसी गलती नहीं हो।
फांसी पर लटकाए जाने से पहले उसने वहां मौजूद यरवडा जेल के जेलर से कहा, मेरी फांसी की सूचना अम्मी को पहुंचा दी जाए। उसने कहा कि अल्लाह भी उसकी गलती को माफ करे। 20 नवंबर की रात जब उसे रात का खाना दिया गया, तब ही बता दिया गया कि कुछ घंटों बाद उसे फांसी दी जाएगी।