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सेकंड वेव में कहर बरपाने वाले डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक है Delta Plus? क्या ये थर्ड वेव की शुरुआत है
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सवाल- क्या डेल्टा प्लस, डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक है?
जवाब- अशोका यूनिवर्सिटी के डॉक्टर शाहिद जमील कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि भारत के पास ऐसा कोई डेटा है, जिससे पता चलता हो कि ये ज्यादा फैलने वाला या बहुत ज्यादा घातक है। असल चिंता की बात ये है कि दो वेरिएंट एक साथ आ रहे हैं। अभी इस वेरिएंट को लेकर ज्यादा कुछ कहना सिर्फ काल्पनिकता होगी।
सवाल- क्या वैक्सीनेशन और एंटीबॉडी के जरिए इससे बच सकते हैं? क्या इससे डरना चाहिए?
जवाब- डॉक्टर शाहिद जमील ने कहा, डरने की बात तो है। लेकिन इसे लेकर रिसर्च पूरी होने दीजिए। 40 केस के आधार पर हमें कोई फैसला नहीं करना चाहिए।
सवाल- क्या कोरोना की तीसरी लहर में ये अलार्मिंग फैक्टर है?
जवाब- शाहिद जमील ने कहा, मैं कहना चाहुंगा कि ये चिंता का विषय तो है। इसे ट्रेक किया जाना चाहिए। लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
सवाल- क्या यूके में डेल्टा प्लस वेरिएंट के खतरे से लोग डरे हुए हैं?
जवाब- लंदन के सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संजीव कृष्ण ने कहा, ये नया वेरिएंट है। कुछ बीमारियों से बचाने में वैक्सीन मदद करेगी। यह सबसे महत्वपूर्ण है। दूसरा वैक्सीनेशन है। हमें मास्क और सोशल डिस्टेंगिंस के जरिए इसे रोकना होगा।
सवाल- महाराष्ट्र ने डेल्टा प्लस से निपटने के लिए कैसे तैयारी कर रहा है?
जवाब- महाराष्ट्र में कोविड टास्क फोर्स के मेंबर डॉक्टर शशांक जोशी ने कहा, रत्नागिरी में इसके 20 केस मिले हैं, जो ज्यादा परेशान करने वाले नहीं है। लेकिन ये किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए बहुत कम सैंपल है। हमारे पास और भी ज्यादा डाटा होना चाहिए। हम कोई अलार्म नहीं दे रहे हैं, लेकिन तब तक के लिए हमे कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन करना होगा। लोगों ने मास्क लगाना बंद कर दिया है, हर जगह भीड़ दिख रही है। हमें ज्यादा से ज्यादा मॉनिटरिंग और टेस्टिंग की जरूरत है।
सवाल- कोरोना की सेकंड वेव से क्या सीख मिली है?
जवाब- शाहिद जमील ने कहा, सेकंड वेव में जो सबूत मिले हैं उन्हें वैज्ञानिक तरीके से देखना चाहिए। घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से सबूतों पर रिसर्च करनी चाहिए। ये समय है पता लगाने का कि वायरस कितना फैल चुका है।
सवाल- हमें यूके से क्या सीखने की जरूत है?
जवाब- प्रोफेसर संजीव कृष्णा ने कहा, हमें वहां की गई रिसर्च एनालिसिसी की जरूरत है। हमें ये पता चलागा चाहिए कि इस वेरिएंट के क्या लक्षण हैं। हमें वैक्सीन से बचे लोगों का डाटा लेना चाहिए। लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि हम वायरस के वेरिएंट पर बात कर रहे हैं।
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