कैसे देखते हैं कोरोना की रिपोर्ट, क्या है RTPCR, एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट में फर्क?
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कब कराना चाहिए टेस्ट?
बुखार, बदन दर्द, गंध और स्वाद न आना, सांस लेने में दिक्कत होना। ऐसे लक्षण नजर आए तो कोरोना का टेस्ट कराना जरूरी है। वहीं अगर आप किसी संक्रमित के संपर्क में आए हैं तो 6 फीट की दूरी पर या 15 मिनट से ज्यादा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो कोरोना टेस्ट जरूरी है।
कौन सा टेस्ट करवाना चाहिए?
कोरोना के लिए RTPCR (आरटीपीसीआर) सबसे भरोसेमंद टेस्ट माना जाता है। इसके अलावा रैपिड एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट भी होता है। एंटीजन टेस्ट का रिजल्ट तुरन्त आता है जबकि एंटीबॉडी टेस्ट का रिजल्ट 24 घंटे बाद आता है।
टेस्ट रिपोर्ट को कैसे देखा जाता है?
रैपिड एंटीजन टेस्ट में अगर पॉजिटिव आता है तो आप कोरोना पॉजिटिव हैं। लेकिन अगर टेस्ट नेगेटिव है और फिर भी लक्षण दिख रहे हैं तो RTPCR टेस्ट कराना जरूरी है।
एंटीबॉडी शरीर के उस तत्व को कहते हैं जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए पैदा करता है। कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडीज बनने में एक हफ्ते का समय लगता है। इसलिए अगर पहले एंटीबॉडी टेस्ट किए जाएं तो सही जानकारी नहीं मिलती है। ऐसे में RTPCR टेस्ट कराने की बात कही जाती है।
CT वैल्यू और CT स्कोर क्या है?
कोरोना में CT वैल्यू और CT स्कोर को समझना बहुत जरूरी है। दोनों का मतलब अलग-अलग होता है। CT वैल्यू साइकिल थ्रेशहोल्ड वैल्यू है जो शरीर में वायरल लोड बताती है। अगर CT वैल्यू 35 से कम है तो संक्रमण है और ये वैल्यू 22 से कम हो तो भर्ती होने की जरूरत है। 23 से 39 तक ये ठीक माना जाता है। डॉक्टर मरीजों को सीटी स्कैन की सलाह देते हैं ताकि संक्रमण कितना फैला है उसका पता लगाया जा सके।