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रहस्यमयी मंदिर: अंधा होने और जहर के डर से पुजारी ही आंख-नाक पर कपड़ा बांधकर अंदर जाता है, 364 दिन बंद रहता है
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लाटू मंदिर साल में सिर्फ एक दिन वैशाख मास की पूर्णिमा को खुलता है। इसी दिन पुजारी आंख-नाक पर पट्टी बांधकर मंदिर के कपाट खोलते हैं। जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तब विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका का पाठ किया जाता है।
लाटू मंदिर के बारे में प्रचलित है कि जिसने भी मंदिर में प्रवेश किया, वो अंधा हो गया। हालांकि यह एक किवदंती है, जिसका सभी लोग पालन करते हैं। फोटो क्रेडिट- मिनाक्षी खत्री(Minakshi Khati)
रोशनी अंधा कर सकती है, इसलिए पुजारी आंख पर पट्टी बांधकर अंदर जाते हैं। नाक पर पट्टी इसलिए बांधते हैं, क्योंकि कहा जाता है नागराज के विष की गंध बहुत तेज है। इसलिए नाक तक गंध न पहुंचे इसलिए ऐसा करते हैं। हालांकि इसके प्रमाण नहीं हैं, जिनमें अब भी शोध की आवश्यकता है।
हैं। जनश्रुतियों व किवंदंतियों के अनुसार लाटू कन्नौज उत्तर प्रदेश के गौड़ ब्राह्मण थे। वे आजीवन ब्रह्मचारी रहे। स्वभाव से घुम्मकड़ होने के कारण वे घूमते-घूमते वांण तक आ पहुंचे थे। यहां उन्होंने भूल से प्यास लगने पर पानी के बजाय शराब पी ली थी। इससे उनकी मृत्यु हो गई। बाद में कई कहानियां जुड़ती गईं।
यह तस्वीर सितंबर, 2021 में मिनाक्षी खत्री(Minakshi Khati) ने tweet की थी। इसमें लिखा-कैलाश के लिए जाते समय मां नंदा की अगुवानी करते हैं लाटू देवता। आस्था और विश्वास की बानगी है लाटू मंदिर। नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा के दौरान वाण गांव में उनके धर्म भाई लाटू देवता के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।