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रहस्यमयी मंदिर: अंधा होने और जहर के डर से पुजारी ही आंख-नाक पर कपड़ा बांधकर अंदर जाता है, 364 दिन बंद रहता है

डेस्क न्यूज. दुनिया विचित्र और रहस्यमयी जगहों(strange and mysterious places) से भरी पड़ी है। उनके बारे में आज तक कोई पता नहीं कर सका। ऐसा ही एक अद्भुत और रहस्यों से भरा मंदिर है उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल नामक ब्लाक में वांण नामक गांव में। हर 12 साल में उत्तराखंड में सबसे लंबी पैदल यात्रा निकलती है। इस यात्रा का 12वां पड़ाव इस मंदिर में होता है। इस यात्रा को श्रीनंदा देवी की राज जात यात्रा कहते हैं। यह मंदिर है लाटू देवता का। मान्यता है कि इस मंदिर में लाटू देवता वांण से लेकर हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा देवी की अगवानी करते हैं। धार्मिक ग्रंथों और किवंदतियों में कहा जाता है कि लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्या नंदा देवी के धर्म भाई हैं। उत्तराखंड में यह उनका मंदिर लाटू के नाम से विख्यात है। कहते हैं कि इस मंदिर में साक्षात नागराज विराजमान रहते हैं। उनके पास मणि हैं। इसी मान्यता के चलते कोई भी श्रद्धालु(चाहे महिला हो या पुरुष) मंदिर के अंदर नहीं जाता। किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं है। सिर्फ पुजारी ही मंदिर में प्रवेश करने का हक रखता है। लेकिन वो भी आंख-नाक पर पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना करते हैं। 

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Amitabh Budholiya
Published : Apr 21 2022, 02:14 PM IST| Updated : Apr 21 2022, 02:20 PM IST
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लाटू मंदिर साल में सिर्फ एक दिन वैशाख मास की पूर्णिमा को खुलता है। इसी दिन पुजारी आंख-नाक पर पट्टी बांधकर मंदिर के कपाट खोलते हैं। जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तब विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका का पाठ किया जाता है।

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लाटू मंदिर के बारे में प्रचलित है कि जिसने भी मंदिर में प्रवेश किया, वो अंधा हो गया। हालांकि यह एक किवदंती है, जिसका सभी लोग पालन करते हैं। फोटो क्रेडिट- मिनाक्षी खत्री(Minakshi Khati)

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रोशनी अंधा कर सकती है, इसलिए पुजारी आंख पर पट्टी बांधकर अंदर जाते हैं। नाक पर पट्टी इसलिए बांधते हैं, क्योंकि कहा जाता है नागराज के विष की गंध बहुत तेज है। इसलिए नाक तक गंध न पहुंचे इसलिए ऐसा करते हैं। हालांकि इसके प्रमाण नहीं हैं, जिनमें अब भी शोध की आवश्यकता है।

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हैं। जनश्रुतियों व किवंदंतियों के अनुसार लाटू कन्नौज उत्तर प्रदेश के गौड़ ब्राह्मण थे। वे आजीवन ब्रह्मचारी रहे। स्वभाव से घुम्मकड़ होने के कारण वे घूमते-घूमते वांण तक आ पहुंचे थे। यहां उन्होंने भूल से प्यास लगने पर पानी के बजाय शराब पी ली थी। इससे उनकी मृत्यु हो गई। बाद में कई कहानियां जुड़ती गईं।

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यह तस्वीर सितंबर, 2021 में मिनाक्षी खत्री(Minakshi Khati) ने tweet की थी। इसमें लिखा-कैलाश के लिए जाते समय मां नंदा की अगुवानी करते हैं लाटू देवता। आस्था और विश्वास की बानगी है लाटू मंदिर। नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा के दौरान वाण गांव में उनके धर्म भाई लाटू देवता के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 

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About the Author

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Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं

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