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कश्मीर में बड़े-बड़े लोग इनकी डेयरी का दूध पीते हैं, 'डेयरी क्वीन' के नाम से फेमस हैं शहजादा अख्तर
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2015 में मित्रीगाम गांव की शहजादा अख्तर नीलोफर जान के संपर्क में आईं, जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) विभाग के माध्यम से लोकल वोकेशनल ट्रेनर्स के साथ आंध्र प्रदेश से लौटी थीं। उन्होंने यहां की महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHGs) बनाने के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में शहजादा अपनी आर्थिक स्थिति के कारण भ्रमित और निराश थी। लेकिन जब उन्हें ट्रेनिंग के जरिये 'उम्मीद' योजना के बारे में पता चला, तो उन्हें आशा की एक किरण दिखी। शहजादा ने 9 और महिलाओं के साथ मिलकर एक टीम बनाई और फिर एक स्थानीय बैंक में खाता खोला। इन्हें हर हफ्ते खाते में 25 रुपये जमा करने होते थे। यह इनके लिए मुश्किल था। लेकिन अब हर सदस्य के खाते में 65,000 रुपये से ज्यादा रकम है।
2017 में शहजादा ने तीन और गायें खरीदीं और उनके लिए एक कंक्रीट शेड बनाया। अब उनके पास 25 गायें हैं। उन्होंने नियमित रूप से अपने दो भाइयों सहित 14 से अधिक लोगों को रोजगार दिया है। अपने संघर्ष को याद करते हुए शहजादा ने बताया कि 2015 से पहले वह बेरोजगार थीं। मैट्रिक भी पूरी नहीं कर पाई थीं। लेकिन अब सब बढ़िया है।
शहजादा का डेयरी फार्म प्रतिदिन औसतन 300-350 लीटर दूध का उत्पादन करता है और दक्षिण कश्मीर के सभी चार जिलों और यहां तक कि श्रीनगर शहर को भी इसकी आपूर्ति करता है।
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बता दें कि 2022 के अंत तक किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर में डेयरी विकास पर कई योजनाओं पर काम कर रही है। कृषि क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के सकल घरेलू उत्पाद(GDP) में 16.18% का योगदान देता है, जिसमें से 35% का योगदान डेयरी क्षेत्र द्वारा किया जाता है। 1970 में 'ऑपरेशन फ्लड' की शुरुआत से पहले भारत को दूध की कमी वाले देशों में गिना जाता था, लेकिन अब दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक में गिना जाता है। जम्मू-कश्मीर भी रास्ते पर चल रहा है।
(यह तस्वीर खैरुन्निसा की है, जो स्वयं सहायता समूह, गंगू, पुलवामा की मेंबर हैं; फोटो साभार-बंधदीप सिंह)
जम्मू-कश्मीर में अधिकांश डेयरी उत्पादक छोटे किसान हैं। इनके पास 2-3 जानवर हैं, जबकि केंद्र शासित प्रदेश प्रतिदिन 70 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है। उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं। ये जम्मू और कश्मीर दुग्ध उत्पादक सहकारी लिमिटेड (जेकेएमपीसीएल) के साथ दूध उत्पादन को लाभदायक बनाने में मदद करती हैं। दूध उत्पादन की क्षमता को 50,000 एलपीडी से बढ़ाकर 3 लाख एलपीडी करने के लिए भी काम हो रहा है।