क्यों और कैसे मनाया जाता है रमजान, यहां जानें इस मुस्लिम परंपरा के बारे में सब कुछ
रमजान की शुरुआत हो चुकी है। भारत में इसे 14 अप्रैल के दिन मनाया गया। वहीं, कई देशों में इसकी शुरुआत 13 अप्रैल को ही कर दी गई थी। इस मुस्लिम त्योहार की तारीख चांद दिखने पर ही तय की जाती है। यही कारण है कि इसे हर जगह अलग-अलग तारीख पर मनाया जाता है। ऐसे में रमजान के इस अवसर पर इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बता रहे हैं।
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रमजान के समय में किया जाता है पुण्य का काम
रमजान को मनाने का उद्देश्य खुद को इश्वर के करीब लाना है। इस उपवास के दौरान मुस्लिम दान पुण्य का काम करते हैं। जैसे- भूखों को खाना खिलाना। रमजान के वक्त कई मुसलमान अपना ज्यादा से ज्यादा समय मस्जिदों में बिताते हैं और करान पढ़ते हैं। नमाज अदा करते हैं, आस्था, दान, मक्का में हज यात्रा करते हैं। इतना ही नहीं इस दौरान रोजा रखने को भी इस्लाम में पाचवां स्तंभ माना जाता है।
रोजे के दौरान नहीं बनाना चाहिए शारीरिक संपर्क
अगर रमजान में रोजा रखने की प्रक्रिया की बात की जाए तो इस पूरे महीने मुसलमान सुबह से शाम तक खाना-पीने नहीं खाते हैं। इस दौरान वो पानी की एक बूंद तक नहीं पीते हैं। वहीं, विद्वानों के हवाले से कहा जाता है कि रोजे के दौरान सिर्फ खाने-पीने से ही दूरी नहीं बनाना बल्कि किसी भी तरह के वाद-विवाद और व्यर्थ बातों से भी दूर रहना चाहिए। इस समय एक और बात का खास ख्याल रखा जाता है कि शारीरिक संपर्क नहीं बनाना है।
सहरी में क्या खाते हैं मुसलमान?
रोजा रखने से पहले मुसलमान खाने में एक बात का ख्याल रखते हैं कि वो ऐसा खाना खाएं, जिससे उन्हें दिनभर ऊर्जा मिल सके। सहरी को अरबी भाषा में सुहूर कहा जाता है। दुनिया भर में रोजा की शुरुआत करने का अलग-अलग तरीका होता है। जिसमें से कुछ के बारे में आपको बताते हैं कि मिस्र में जीरा और जैतून के तेल में बना मसालेदार फावा बीन्स, लेबनान और सीरिया में पराठा (जो कि दही या पनीर के साथ खाया जाता है), अफगानिस्तान में खजूर और आलू की पकौड़ी खाकर रोजे की शुरुआत की जाती है।
यूरोप के उत्तरी हिस्सों में भीषण गर्मी होती है। यहां इसी वजह से सूरज कई हफ्तों तक डूबता या उगता नहीं है तो वहां मुसलमान साऊदी अरब या आस-पास के मुस्लिम देशों के दिन के उजाले को देखकर रमजान की शुरुआत करते हैं।
रोजा खोलते समय क्या खाना चाहिए?
आज के समय में भी मुसलमान परंपरागत तौर पर ही रोजा खोलते हैं। करीब 1400 साल पहले पैगंबर मुहम्मद ने पहले सूर्यास्त के समय पानी पीकर और कुछ खजूर खाकर रोजा खोला था। ठीक इसी तरह से ही लोग आज भी अपना रोजा खोला करते हैं। शाम की नमाज पढ़ने के बाद लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ बड़ी दावत करते हैं, जिसे इफ्तार कहा जाता है। अगर इफ्तार की बात की जाए तो इस समय अरब में जूस पीने की परंपरा है। इसके अलावा दक्षिण एशिया और तुर्की में दही से बने पेय फेमस हैं।
किन्हें है रोजा ना रखने की छूट?
रोजा रखने की कुछ लोगों को छूट भी दी जाती है। इसमें बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती, बीमार लोगों, मासिक धर्म वाली महिलाओं और यात्रा करने वाले लोगों को रोजा रखने से छूट दी जाती है। इसके अलावा रोजा के दौरान खाना खाने वालों को जुर्म भी देना पड़ता है। संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे कुछ मध्यपूर्व देशों में रमजान के दौरान दिन में सार्वजनिक रूप से खाना खाने वालों को दंड के रूप में हर्जाना भी देना पड़ता है।
रमजान के दौरान काम के घंटों में होती है कटौती
इसके साथ ही रमजान में मुस्लिम को काम के घंटों में छूट भी दी जाती है। इस दौरान रेस्टोरेंट को भी कई देशों में बंद कर दिया जाता है। बताया जाता है कि इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देशों में रमजान के दौरान बार और नाइट क्लब को पूरे महीने के लिए बंद कर दिया जाता है।
14 मई को मनाई जाएगी ईद
इस बार 14 मई को ईद मनाई जाएगी। अगर रमजान के खत्म होने की बात की जाए तो ईद उल-फित्र के साथ ही ये खत्म हो जाता है। इस दिन बच्चों को नए कपड़े, तोहफा और पैसे दिए जाते हैं। इस मौके पर पूरा परिवार कहीं बाहर घूमने जाता है। ईद का त्योहार लोग परिवार और दोस्तों का साथ मनाते हैं।