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कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन का बूस्टर शॉट लेना जरूरी है? जानें WHO के वैज्ञानिक क्या कहते हैं
नई दिल्ली. कोरोना महामारी में वायरस से बचाने का एक मात्र विकल्प वैक्सीन है। कई देशों में वैक्सीन की कमी या दूसरी वजह से वैक्सीनेशन अभियान धीमा हुआ है। इस बीच कुछ देशों में वैक्सीन के अलावा बूस्टर शॉट्स के बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं। कई देश इस विकल्प पर सोच भी रहे हैं। ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि दोनों डोज लेने के बाद बूस्टर शॉट्स की जरूरत है?
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि कोविड -19 के खिलाफ वैक्सीन के बाद बूस्टर शॉट की जरूरत होगी या नहीं अभी इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसपर अभी भी रिसर्च चल रही है।
स्वामीनाथन ने कहा कि इस तरह का सवाल पूछना अभी जल्दबाजी है, क्योंकि दुनिया के अधिकांश देशों में तो वैक्सीन की पूरी खुराक ही नहीं लगी है।
बूस्टर शॉट्स क्या हैं?
कोविड -19 के खिलाफ वैक्सीन की दो खुराक हैं। चूंकि अभी ये स्पष्ट रूप से नहीं पता कि वैक्सीन का प्रभाव कितने समय तक रहता है ऐसे में कई देश साल में एक बार बूस्टर शॉट के बारे में सोच रहे हैं।
यूनाइटेड किंगडम में कोरोना की अगली लहर से बचने के लिए बूस्टर शॉट्स का विकल्प चुनने की संभावना है। स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने पिछले महीने कहा था कि दुनिया के पहले बूस्टर स्टडी में इंग्लैंड में वॉलिंटियर्स ने सात अलग-अलग वैक्सीन का टेस्ट किया था।
संयुक्त अरब अमीरात ने फाइजर/बायोएनटेक कोरोन वायरस वैक्सीन को बूस्टर शॉट के रूप में उपलब्ध कराया है। बहरीन ने 4 जून को कहा कि इलेजबल उम्मीदवारों को फाइजर/बायोएनटेक या सिनोफार्म वैक्सीन का बूस्टर शॉट मिल सकता है। भले ही उन्होंने शुरुआत में कोई भी शॉट लिया हो।