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KBC: करोड़पति बनते ही नर्क हो गई थी इस शख्स की जिंदगी, लगी नशे की लत, हुआ दिवालिया, पत्नी भी छोड़ गई
मुंबई. अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का मोस्ट पॉपुलर रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति (Kaun Banega Crorepati) का 13वां सीजन शुरू हो चुका है। इस बार में शो कई चेंजेज देखने को मिल रहे हैं। इस बार सबसे खास बात यह है कि इस सीजन में स्टूडियो में ऑडियंस मौजूद है। पिछले साल कोविड महामारी के कारण ऑडियंस पोल की जगह वीडियो ए फ्रेंड लाइफलाइन को शामिल किया गया था। अब फिर से ऑडियंस पोल के अलावा तीन और लाइफलाइन है, जिनमें 50:50, आस्क द एक्सपर्ट और फ्लिप द क्वेश्चन शामिल हैं। इसी बीच केबीसी 5 के विजेता रहे बिहार के सुशील कुमार (Sushil Kumar) की एक पुरानी फेसबुक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताई। उन्होंने लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखकर बताया था कि सेलिब्रिटी बनने के बाद उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दौर शुरू हुआ था। नीचे पढ़े कैसे उनकी जिंदगी नर्क बन गई और किन परिस्थितियों से वे गुजरे...
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सुशील कुमार पहले ऐसे प्रतियोगी थे जिन्होंने 2011 में इतनी राशि जीती थी। बिहार में एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले सुशील 5 करोड़ जीतते ही लोकल सेलिब्रिटी बन गए थे। उन्हें अपना सपना साकार होता दिखने लगा था। हालांकि, ऐसा नहीं था। सुशील रुपयों को सही तरीके से इन्वेस्ट नहीं कर पाए और जल्द ही दिवालिया हो गए।
उन्होंने बताया था- केबीसी जीतने के बाद मेरी जिंदगी का सबसे बुरा समय शुरू हुआ था। 2015-2016 मेरे जीवन का सबसे चुनौती पूर्ण समय था, कुछ समझ नहीं रहा था क्या करें। लोकल सेलेब्रिटी होने के कारण महीने में दस से पंद्रह दिन बिहार में कहीं न कहीं कार्यक्रम जाना होता था। इसलिए पढ़ाई लिखाई धीरे-धीरे दूर होती गई।
सुशील ने बताया था- उस दौरान मीडिया को लेकर मैं बहुत ज्यादा सीरियस रहा करता था और मीडिया जो पूछती थी मैं बता देता था। मुझे उस वक्त मीडिया से बात करने का तरीका नहीं पता था। मैं उन्हें बता देता था कि कौन सा बिजनेस कर रहा हूं ताकि उन्हें लगे कि मैं बेकार नहीं हूं। इसका नतीजा यह होता था कि बिजनेस कुछ दिन बाद डूब जाता था।
सुशील चैरिटी में सक्रिय रूप से शामिल हो गए लेकिन बाद में उन्हें अहसास हुआ कि यह सब दिखावा था। इससे उनके पत्नी के साथ संबंधों में भी खटास आ गई। उन्होंने लिखा था- केबीसी के बाद मैं दानवीर बन गया था और मुझे गुप्त दान का चस्का लग गया था। महीने में लगभग 50 हजार रुपए से ज्यादा ऐसे ही कामों में चले जाते थे। इस वजह से कई बार लोगों ने मुझे धोखा दिया, जिसका पता मुझे दान करने के बाद लगा। पत्नी अक्सर कहती थी कि मुझे नहीं पता कि सही और गलत लोगों के बीच अंतर कैसे किया जाता है और मुझे फ्यूचर की कोई चिंता नहीं थी। हम अक्सर इस पर लड़ते रहते थे।
सुशील शराब की लत से भी जूझ रहे थे। उन्होंने बताया था- मेरा नेचर बिजनेस करने का था तो मैं मीडिया में पढ़ने वाले कुछ लड़कों के संपर्क में आया। कुछ थिएटर आर्टिस्ट से भी मेरा परिचय हुआ। हालांकि, जब ये स्टूडेंट्स और आर्टिस्ट किसी विषय के बारे में बात करते थे, तो मुझे डर लगता था और मुझे अहसास होता था कि मुझे इन विषयों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। फिर धीरे-धीरे मुझे शराब और सिगरेट पीने की लत लग गई। जब भी मैं दिल्ली में एक हफ्ते के लिए रुकता था, मैं अलग-अलग ग्रुप के साथ शराब पीता और स्मोक करता था। मुझे उनकी बातें अट्रैक्ट करती।
बाद में उन्होंने मीडिया के सामने खुलासा किया कि वो दिवालिया हो गए हैं, जिसके बाद लोगों ने उन्हें इवेंट में बुलाना बंद कर दिया। उन्होंने बताया था- मैं दिवालिया कैसे हो गया...? आपको कहानी थोड़ी फिल्मी लगेगी। जब मैं एक दिन टहल रहा था, एक अंग्रेजी अखबार के एक पत्रकार ने मुझे फोन किया। जब सब कुछ ठीक चल रहा था, अचानक उसने मुझसे कुछ पूछा जिससे मैं चिढ़ गया, तो मैंने अचानक उसे बताया कि मेरे सारे पैसे खत्म हो गए हैं और मेरे पास दो गाय हैं और दूध बेचकर उससे कुछ पैसे कमाकर काम चला रहा हूं। उसके बाद जो उस न्यूज का असर हुआ उससे आप सभी तो वाकिफ होंगे ही। उस खबर ने अपना असर दिखाया, धोखेबाज मुझसे कन्नी काटने लगे। मुझे लोगों ने कार्यक्रमों में बुलाना बंद कर दिया और तब मुझे समय मिला की अब मुझे क्या करना चाहिए।
सुशील ने बताया कि इसी बीच एक दिन पत्नी से खूब झगड़ा हुआ और वो मायके चली गई। बात तलाक तक पहुंच गई। तब मुझे अहसास हुआ कि अगर रिश्ता बचाना है तो मुझे बाहर जाना होगा और फिल्म निर्देशक बनने का सपना लेकर चुपचाप बिल्कुल नए परिचय के साथ मैं मुंबई आ गया। अपने एक परिचित प्रोड्यूसर मित्र से बात करके जब मैंने अपनी बात कही तो उन्होंने फिल्म संबंधी कुछ टेक्निकल बातें पूछी, जिसको मैं नहीं बता पाया।
एक बड़े प्रोडक्शन हाउस में आकर काम करने लगा। वहां पर कहानी, स्क्रीन प्ले, डायलॉग कॉपी, प्रॉप कॉस्टयूम और न जानें क्या करने, देखने, समझने का मौका मिला। उसके बाद मेरा मन वहां से बेचैन होने लगा। वहां पर बस तीन ही जगह आंगन, किचन और बेडरूम में ज्यादातर शूट होता था। मैं तो मुंबई फिल्म निर्देशक बनने का सपना लेकर आया था और एक दिन वो भी छोड़कर अपने एक गीतकार मित्र के साथ उसके रूम में रहने लगा।
दिनभर अकेले ही रहने से और पढ़ने-लिखने से मुझे खुद के अंदर निष्पक्षता से झांकने का मौका मिला। मुझे अहसास हुआ कि असली खुशी अपने मन का काम करने में है। मैं मुंबई से घर आ गया और टीचर बनने की तैयारी की और पास भी हो गया। साथ ही अब पर्यावरण से संबंधित बहुत सारे काम करता हूं। अब जीवन में हमेशा एक नया उत्साह महसूस होता है।