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वेलेंटाइन-डे के दिन इस महिला ने 20 लोगों को उतारा था मौत घाट,जानिए खतरनाक लेडी की नफरत भरी कहानी
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18 साल में ठाकुर हुई थी किडनैप
फूलन से बाद में डाकू सरदार बाबू गुज्जर और विक्रम मल्लाह प्यार था। जिसे लेकर दोनों के बीच ऐसी तनी कि विक्रम ने उसकी हत्या कर दी और सरदार बन गया, जिसके बाद से फूलन विक्रम के साथ रहने लगी। लेकिन, ठाकुरों के गैंग का सरगना श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर, बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज था। बताते हैं कि इसे लेकर दोनों गुटों में कई बार खूनी झड़प हुई। एक बार विक्रम मल्लाह और फूलन देवी सो रही थी, तभी ठाकुरों के गैंग ने मल्लाह की हत्या कर फूलन को किडनैप कर लिया था। उस समय फूलन की उम्र 18 साल की थी।
दो डाकू करते थे फूलन देवी से प्यार
फूलन से बाद में डाकू सरदार बाबू गुज्जर और विक्रम मल्लाह प्यार था। जिसे लेकर दोनों के बीच ऐसी तनी कि विक्रम ने उसकी हत्या कर दी और सरदार बन गया, जिसके बाद से फूलन विक्रम के साथ रहने लगी। लेकिन, ठाकुरों के गैंग का सरगना श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर, बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज था।
18 साल में ठाकुर हुई थी किडनैप
बताते हैं कि इसे लेकर दोनों गुटों में कई बार खूनी झड़प हुई। एक बार विक्रम मल्लाह और फूलन देवी सो रही थी, तभी ठाकुरों के गैंग ने मल्लाह की हत्या कर फूलन को किडनैप कर लिया था। उस समय फूलन की उम्र 18 साल की थी।
नग्ग हालत में रस्सियों से बांधकर ले गए थे बेहमई
कहा जाता है कि श्रीराम और उसके साथी नग्न अवस्था में ही रस्सियों से बांधकर नदी के रास्ते बेहमई गांव ले गए थे और उसे पूरे गांव में नंगा घुमाए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फूलन देवी के एक किताब में इस बात का जिक्र किया गया था कि सबसे पहले श्रीराम ने रेप किया। फिर बारी-बारी से गांव के लोगों ने साथ रेप किया।
2 सप्ताह तक होता रहा ऐसे गैंगरेप
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फूलदेवी के किताब के मुताबिक नग्न अवस्था में 2 सप्ताह से अधिक समय तक फूलनदेवी को एक कोठरी में बंद रखा गया था। जहां हर रोज उसके साथ गैंगरेप किया जाता, जिसके बाद से वो नफरत की आग में जल रही थी।
ऐसे लिया था बदला
14 फरवरी 1981 को दोपहर के दो से ढाई बजे का समय था। फूलन और उसके साथ डकैत मुस्तकीम, रामप्रकाश और लल्लू गैंग के तकरीबन 35-36 लोगों ने बेहमई गांव को घेर लिया। घरों में लूटपाट शुरू कर दी।
26 लोगों को लाइन में खड़ा करके मार दी थी गोली
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मर्दों को घर से बाहर खींचकर लाया गया। सभी गांव में एक टीले के पास 26 लोगों को इकट्ठा किया गया। इसके बाद फूलन और उसके साथियों ने उन (26 लोगों) पर ताबड़तोड़ 4 से 5 मिनट तक गोलियां बरसाईं, जिसमें से 20 लोगों की मौत हो गई जबकि 6 लोग घायल हो गए।
गांव के ऊपर मंडरा रहे थे कौएं, रो रहीं थी औरतें और बच्चें
वारदात को अंजाम देने के बाद फूलन व उसके साथ आए डकैत गांव से निकल गए। गांव के ठाकुर राजाराम ने पुलिस को सूचना दी थी। तकरीबन 3 से 4 घंटे बाद पुलिस वहां पहुंची। गांव से सिर्फ औरतों और बच्चों की रोने की दूर दूर तक आवाजें आ रही थी। गांव के ऊपर कौए मंडरा रहे थे। ठाकुर राजाराम ने तब फूलन, मुस्तकीम, रामप्रकाश और लल्लू के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी।
ऐसे दो बार सांसद बनी थी फूलन देवी
बताते हैं कि फूलन देवी उस समय उन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण करने के बाद सरेंडर कर दी थी। हालांकि साल 1994 में जब मुलायम सिंह यादव की यूपी में सरकार बनी तो उनके हस्तक्षेप से बाहर आई। इसके बाद राजनीति में इंट्री की। वो 1996 से 1998 और 1999 से 2001 तक मिर्जापुर की सांसद बनीं।
जन्मदिन के ही दिन हुई थी फूलनदेवी की हत्या
फूलन देवी के बेहमई के ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के इरादे से शेर सिंह राणा ने फूलन को दिल्ली स्थित उनके आवास पर गोली मार दी। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी।