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Asianet News Mood of Voters Survey: गोरक्ष में BJP को 63% ब्राम्हण का आर्शीवाद, कृषि लॉ का डेटा चौंकाने वाला
लखनऊ। 7 महीने पहले ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरु कर दी हैं। क्या योगी आदित्यनाथ एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जनादेश लाएंगे? क्या अखिलेश यादव भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में 'साइकिल' की सवारी करेंगे? क्या मायावती का सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाएगा जो उन्होंने 2012 में खाली की थी?
क्या चुनावी नतीजों पर महामारी के आर्थिक असर का असर होगा? क्या जाति समीकरण या विकास एक कारक होगा जो तय करता है कि लखनऊ में 5, कालिदास मार्ग पर किसका नेमप्लेट लगेगा? वे कौन से मुद्दे होंगे जो 'चुनावी युद्धभूमि उत्तर प्रदेश' पर हावी होंगे? इन और अन्य सवालों के जवाब खोजने के लिए Asianet News ने 27 जुलाई से 2 अगस्त 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में एक सर्वे किया। जन की बात द्वारा राज्य के छह क्षेत्रों - कानपुर बुंदेलखंड, अवध, पश्चिम, बृज, काशी और गोरखपुर में किए गए सर्वेक्षण में चुनाव से सात महीने पहले मतदाताओं की नब्ज टटोली गई है। हालांकि, राजनीति में जमीनी हकीकत, गठबंधन और समीकरण चुनाव से पहले बदल जाते हैं। लेकिन सात महीने पहले यूपी का मूड कैसा है, फिलहाल की परिस्थितियां जहां सभी खड़े हैं, यह सर्वे में सामने आई है। Asianet News के सर्वे से पता चलता है कि राम मंदिर अभी तक मतदाताओं के बीच वास्तविक महत्व का मुद्दा नहीं है। हालांकि, ऐसे संकेत थे कि यह मुद्दा धीरे धीरे गति पकड़ रहा और चुनाव करीब आते प्रमुख मुद्दों में शुमार हो सकता है।
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यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार ब्राह्मण मतदाताओं में 70 प्रतिशत का झुकाव बीजेपी की तरफ दिख रहा है। जबकि 20 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाताओं का झुकाव समाजवादी पार्टी गठबंधन की ओर है। वहां 10 प्रतिशत ने बसपा और 5 प्रतिशत ने कांग्रेस को अपनी पसंद बताया है।
यादव वोटर - यादव जाति की बात करें तो इसमें 10 प्रतिशत बीजेपी के साथ जाना चाहते हैं, जबकि 90 प्रतिशत को साइकिल की सवारी पसंद है।
सर्वे में 33 प्रतिशत लोगों का मानना है कि राम मंदिर मुद्दा इस चुनाव में विशेष महत्व रखेगा। 32 प्रतिशत कहते हैं कि यह उतना जरूरी मुद्दा नहीं है। जबकि 22 प्रतिशत को यह सामान्य मुद्दा लगता है।
सर्वे में शामिल 48 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार में सबसे ज्यादा था। जबकि 28 प्रतिशत लोगों ने कहा- योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार में भी भ्रष्टाचार है। वहीं, 24 प्रतिशत का मानना है कि मायावती की सरकार में बाकियों से कम करप्शन था।
55 प्रतिशत लोगों ने साफ कह दिया कि वह नहीं जानते कि यह कानून अच्छा है या बुरा है। 24 प्रतिशत की राय है कि यह कानून बेहतर है, जबकि 21 प्रतिशत ने इसे खराब बताया। हालांकि, 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह कृषि कानूनों को पढ़े हैं और समझते भी हैं, जबकि 31 प्रतिशत तो इस कानून के बारे में अनजान हैं।
सर्वे में शामिल लोगों ने महंगाई के मोर्चे पर योगी सरकार को फेल बताया है। 45 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बीजेपी सरकार महंगाई कम करने में असफल साबित हुई। 25 प्रतिशत ने कहा- सरकार करप्शन के मुद्दे पर लड़खड़ाई गई। सड़कों के मुद्दे पर 20 प्रतिशत लोगों ने कहा- यह काम सरकार ठीक से नहीं कर पाई। जबकि 10 प्रतिशत लोग बिजली आपूर्ति के मामले में योगी सरकार को फेल बताया।
सर्वे में 60 प्रतिशत लोगों ने माना- योगी सरकार सबसे बेस्ट है। 27 प्रतिशत ने माना- अखिलेश यादव की सरकार कानून-व्यवस्था के मामले में बेस्ट थी। जबकि 13 प्रतिशत लोगों ने मायावती सरकार को बेहतर बताया।
48 प्रतिशत लोग योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। जबकि 40 प्रतिशत लोगों की पसंद अखिलेश यादव हैं। 48 प्रतिशत लोगों ने कहा- वह योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर वोट करेंगे। जबकि अखिलेश यादव को 36 प्रतिशत लोगों ने पसंद कर वोट देने की बात कही।
32 प्रतिशत लोगों ने योगी सरकार के प्रयास को औसत बताया, जबकि 23 प्रतिशत ने डिस्टिंक्शन मार्क्स से योगी सरकार को पास कर दिया। जबकि 13 प्रतिशत का मानना है कि मौजूदा सरकार ने खराब काम किया।
सर्वे में शामिल लोगों से सवाल किया गया कि उनको कौन सा मुद्दा सबसे अधिक प्रभावित किया? अधिकतर का जवाब था महंगाई। 61 प्रतिशत का मानना है कि महंगाई ने उनके जीवन को बेपटरी कर दिया। वहीं, 30 प्रतिशत लोगों का कहना है कि कोविड के खराब सिस्टम से वह प्रभावित हैं।
70 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कानून का राज स्थापित करने में सबसे बेहतर योगी सरकार है। जबकि 20 प्रतिशत लोग कहते हैं कि पीडीएस यानी राशन वितरण प्रणाली को चुस्त दुरुस्त करने में इस सरकार ने बेहतर काम किया।
यूपी में अभी तक 20 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। सबसे अधिक बार कांग्रेस ने 8 बार यहां शासन किया, जबकि 2 बार चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय क्रांति दल और एक बार जनता पार्टी की सरकार रही। एक बार जनता दल और 3 बार समाजवादी पार्टी की सरकार रही। 3 बार बीजेपी जबकि 4 बार बसपा की सरकार रह चुकी है। सबसे अधिक 4 बार मुख्यमंत्री मायावती रहीं। जबकि कांग्रेस के चंद्रभानु गुप्ता, नारायण दत्त तिवारी व समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव 3-3 बार सीएम रहे। चौधरी चरण सिंह व भाजपा के कल्याण सिंह 2-2 बार यूपी की कमान संभाल चुके हैं। यूपी में 17 वीं बार 2017 में विधानसभा का गठन हुआ। योगी आदित्यनाथ 20वें मुख्यमंत्री बने। वह बीजेपी के चौथे सीएम हैं। भारतीय जनता पार्टी की यूपी में 3 बार सरकार बनी लेकिन पहली बार बीजेपी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही है।
2017 में बीजेपी ने हासिल की थी एकतरफा जीत
2017 विधानसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी गठबंधन ने 403 सीटों में 325 सीटें जीती थी। बीजेपी को 312, अपना दल को 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि सपा ने 47 और कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। बसपा को 19 सीटें मिली थी जबकि राष्ट्रीय लोकदल को 1 सीट। निषाद पार्टी और निर्दलीय से 1-1 विधायक जीते थे।