सार
Asianet News ने राज्य में चुनाव से सात महीने पहले मतदाताओं की नब्ज को समझने के लिए उत्तर प्रदेश के छह क्षेत्रों - कानपुर बुंदेलखंड, अवध, पश्चिम, बृज, काशी और गोरखपुर में पहला सर्वे किया है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2022 में लोकतंत्र का सबसे बड़ा महापर्व होगा। राजनीतिक दल अभी से तैयारियां शुरु कर दी हैं। क्या योगी आदित्यनाथ एक बार फिर बीजेपी के पक्ष में जनादेश लाएंगे? क्या अखिलेश यादव भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में 'साइकिल' की सवारी करेंगे? क्या मायावती का सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी दिला पाएगा? क्या चुनावी नतीजों पर महामारी का असर होगा? क्या जाति समीकरण या विकास तय करेगा कि लखनऊ के 5 कालिदास मार्ग पर किसका नेमप्लेट लगेगा? वे कौन से मुद्दे होंगे जो 'चुनावी रणभूमि उत्तर प्रदेश' पर हावी होंगे? ऐसे ही सवालों के जवाब जानने Asianet News ने 27 जुलाई से 2 अगस्त 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में एक सर्वे किया।
जन की बात द्वारा राज्य के 6 क्षेत्रों- कानपुर बुंदेलखंड, अवध, पश्चिम, बृज, काशी और गोरखपुर में किए गए सर्वे के माध्यम से चुनाव से 7 महीने पहले मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कोशिश की। हालांकि, राजनीति में जमीनी हकीकत, गठबंधन और समीकरण चुनाव से पहले बदल जाते हैं। लेकिन 7 महीने पहले यूपी का मूड कैसा है...यह सर्वे में सामने आई है। Asianet News के सर्वे से पता चलता है कि वोटर्स के बीच राम मंदिर का मुद्दा अब पहले जैसा महत्व नहीं रखता है। हालांकि, चुनाव करीब आते यह प्रमुख मुद्दों में शुमार हो सकता है। आइए जानते हैं, सर्वे में निकले प्रमुख सवाल और उनके जवाब...
2022 में कौन? वन्स मोर योगी आदित्यनाथ या अखिलेश?
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जनता किसको फिर से मौका देना चाहती है? 48% लोग योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। जबकि 40% लोगों की पसंद अखिलेश यादव हैं।
48% लोगों ने कहा- वह योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर वोट करेंगे। जबकि अखिलेश यादव को 36% लोगों ने पसंद कर वोट देने की बात कही।
क्या भव्य राम मंदिर का निर्माण बनेगा तारणहार?
यूपी के चुनाव में अयोध्या का राम मंदिर मुद्दा सबसे विशेष रहा है। राम मंदिर निर्माण लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ मसला रहा है और बीजेपी को लोग मंदिर निर्माण के लिए जनादेश देते रहे हैं। श्री राम मंदिर का भव्य निर्माण शुरु हो चुका है। पीएम मोदी ने 5 अगस्त 2020 को श्री राम मंदिर की आधारशिला रखी, इसी के साथ राम मंदिर का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ। अब ऐसी स्थितियों में आने वाले चुनाव में राम मंदिर मुद्दा वोटरों का रुझान तय करेगा या नहीं?
सर्वे में 33% लोगों का मानना है कि राम मंदिर मुद्दा इस चुनाव में विशेष महत्व रखेगा। जबकि 22% को यह सामान्य मुद्दा लगता है। 32% कहते हैं कि यह उतना जरूरी नहीं है।
कानून व्यवस्था में योगी सरकार को मिले कितने मार्क्स?
यूपी में कानून-व्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा हाल के दशकों में रहा है। इस बार भी कानून-व्यवस्था चुनाव में प्रमुख आधार साबित होगा। लॉ एंड आर्डर के मामले में प्रदेश की जनता की पहली पसंद योगी आदित्यनाथ सरकार है। सर्वे में 60% लोगों ने माना- योगी सरकार सबसे बेस्ट है। 27% ने माना- अखिलेश यादव की सरकार कानून-व्यवस्था के मामले में बेस्ट थी। जबकि 13% लोगों ने मायावती सरकार को बेहतर बताया।
अखिलेश सरकार सबसे करप्ट, योगी-मायावती के कार्यकाल में कम हुआ भ्रष्टाचार
यूपी के लोगों का मानना है कि राज्य में करप्शन एक प्रमुख मुद्दा है। सर्वे में शामिल 48% लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार में सबसे ज्यादा था। जबकि 28% लोगों ने कहा- योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार में भी भ्रष्टाचार है। वहीं, 24% का मानना है कि मायावती की सरकार में बाकियों से कम करप्शन था।
योगी सरकार किन मामलों में सबसे बेहतर साबित हुई?
अपराध के मामले में यूपी की छवि बेहद खराब थी। यूपी का माफिया राज पूरे देश में कुख्यात था। बालू खनन, रेलवे के ठेके, गरीबों के खाद्यान्न से लेकर जमीन के धंधे में माफिया का दबदबा हुआ करता था। 2017 के बाद यूपी अपनी इस छवि से निकला है। सर्वे के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार कानून का राज स्थापित करने में सफल साबित हुई। 70% लोगों का मानना है कि कानून का राज स्थापित करने में सबसे बेहतर योगी सरकार है। जबकि 20% लोग कहते हैं कि पीडीएस यानी राशन वितरण प्रणाली को चुस्त दुरुस्त करने में इस सरकार ने बेहतर काम किया।
सर्वे- 70% ब्राह्मणों का बीजेपी को आशीर्वाद, ओबीसी भी आया साथ
सर्वे की मानें तो यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार ब्राह्मण मतदाताओं में 70% का झुकाव बीजेपी की तरफ दिख रहा है। जबकि 20% ब्राह्मण मतदाताओं का झुकाव समाजवादी पार्टी गठबंधन की ओर है। वहां 10% ने बसपा और 5% ने कांग्रेस को अपनी पसंद बताया है।
यादव वोटर - यादव जाति की बात करें तो इसमें 10% बीजेपी के साथ जाना चाहते हैं, जबकि 90% को साइकिल की सवारी पसंद है।
गैर यादव ओबीसी- गैर यादव ओबीसी जातियों में 70% मतदाताओं का झुकाव बीजेपी की तरफ है। जबकि 10% सपा गठबंधन के साथ। 5% कांग्रेस जबकि 10% अन्य छोटे दलों के साथ जाना चाहते हैं।
तो क्या यूपी में जाट बिगाड़ेगा खेल?
यूपी में जाट वोटरों का प्रभाव पश्चिम यूपी की सीटों पर है। पिछले चुनाव में जाट वोटरों ने बीजेपी का साथ दिया था। डॉ.संजीव बालियान, संगीत सोम, राजकुमार चाहर सहित कई कद्दावर नेता बीजेपी का वहां चेहरा था। यूपी में करीब 40 सीटों पर जाट वोटर्स का प्रभाव है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में बीजेपी ने अधिकतर सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार 60% जाट वोटर्स बीजेपी के खिलाफ हैं।
जाट वोटर - जाटों का सबसे अधिक झुकाव सपा गठबंधन के साथ जात दिख रहा है। सपा के साथ 60% जाट मतदाता हैं, जबकि 30 % जाट मतदाता बीजेपी के समर्थन में है। 5% जाट बसपा जबकि 5% कांग्रेस के साथ है।
कोविड नियंत्रण पर योगी सरकार के प्रयास को 32% ने बताया औसत
वैश्विक महामारी कोविड-19 से पूरी दुनिया परेशान रही। यूपी में भी एक समय हालात बेहद बिगड़ गए थे लेकिन यूपी सरकार प्रभावी स्ट्रैटेजी से इसको नियंत्रित करने में कामयाब रही। आलम यह कि कई देशों ने यूपी मॉडल की सराहना की। आने वाले चुनाव में जनता कोविड नियंत्रण को लेकर सरकार के बारे में क्या सोचती है? सर्वे में लोगों से पूछा गया कि योगी सरकार कोविड नियंत्रण के लिए क्या सही कदम उठा पाई? 32% लोगों ने योगी सरकार के प्रयास को औसत बताया, जबकि 23% ने डिस्टिंक्शन मार्क्स से योगी सरकार को पास कर दिया। जबकि 13% का मानना है कि मौजूदा सरकार ने खराब काम किया।
जनता ने कहा- महंगाई के मोर्चे पर फेल हो गई योगी सरकार
सर्वे में शामिल लोगों ने महंगाई के मोर्चे पर योगी सरकार को फेल बताया है। 45% लोगों का मानना है कि बीजेपी सरकार महंगाई कम करने में असफल साबित हुई। 25% ने कहा- सरकार करप्शन के मुद्दे पर लड़खड़ाई गई। सड़कों के मुद्दे पर 20% लोगों ने कहा- यह काम सरकार ठीक से नहीं कर पाई। जबकि 10% लोग बिजली आपूर्ति के मामले में योगी सरकार को फेल बताया।
कृषि कानूनों को लेकर क्यों यूपी सरकार को मिल रहा वॉकओवर?
पूरे देश में कृषि कानूनों को लेकर बहस हो रही है। लेकिन यूपी में अभी भी इस कानून को लेकर एक राय नहीं बनती दिख रही। पश्चिमी यूपी को छोड़ दें तो पूर्वांचल व अन्य क्षेत्र अभी भी इस कानून को लेकर मिलाजुला राय रखता है। 55% लोगों ने साफ कह दिया कि वह नहीं जानते कि यह कानून अच्छा है या बुरा है। 24% की राय है कि यह कानून बेहतर है, जबकि 21% ने इसे खराब बताया। हालांकि, 40% लोगों ने कहा कि वह कृषि कानूनों को पढ़े हैं और समझते भी हैं, जबकि 31% तो इस कानून के बारे में अनजान हैं।
यूपी कानून के राज से खुश लेकिन महंगाई डायन से परेशान
यूपी के लोग कानून के राज से खुश तो महंगाई की वजह से बिगड़े बजट ने परेशान कर रखा है। सर्वे में शामिल लोगों से सवाल किया गया कि उनको कौन सा मुद्दा सबसे अधिक प्रभावित किया? अधिकतर का जवाब था महंगाई। 61% का मानना है कि महंगाई ने उनके जीवन को बेपटरी कर दिया। वहीं, 30% लोगों का कहना है कि कोविड के खराब सिस्टम से वह प्रभावित हैं।
यूपी के वोटर कैंडिडेट देखकर करेंगे वोट, जाति-धर्म को करेंगे इग्नोर!
यूपी के बारे में माना जाता है कि यहां के वोटर अपनी जाति वाले कैंडिडेट को ही पहली पसंद मानता है। लेकिन इस बार वह जाति-धर्म को इग्नोर कर सकता है। यूपी के लोग अपना वोट किस आधार पर देंगे? इस सवाल पर 42% लोगों ने कहा- कैंडिडेट देखकर ही वह वोट करेंगे। 38 प्रतिशत का कहना है- वो पार्टी के आधार पर अपना वोट देंगे। जबकि 11% लोग जाति और 9% धर्म के आधार पर वोट करेंगे।
यूपी विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर?
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनाया। मोदी दुबारा एकतरफा जनादेश के साथ देश के पीएम बने। 2014 के बाद देश में जिन राज्यों में भी चुनाव हुए उसमें मोदी फैक्टर का बीजेपी की जीत में सबसे बड़ा योगदान रहा है। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी हर सीट पर मोदी फैक्टर ही कामयाबी का मूल मंत्र रहा। क्या इस बार विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर काम करेगा? इस सवाल पर 33% लोगों ने माना- इस बार के चुनाव में मोदी फैक्टर कम प्रभाव डालेगा। जबकि 25% का मानना है कि मोदी फैक्टर प्रभावी रहेगा। 24% ने कहा- मोदी फैक्टर का बहुत थोड़ा प्रभाव रहेगा।
जानिए कैसी सरकार चाहते हैं लोग?
यूपी की जनता ऐसी सरकार चाहती है जो सभी नागरिकों से समान व्यवहार करे, किसी भी आधार पर भेदभाव न करे। 92% लोगों ने कहा- वो ऐसी सरकार चाहते हैं जो सबसे समान व्यवहार करे। जबकि 8% लोगों का कहना है- जाति के हिसाब से व्यवहार करने वाली सरकार चाहिए।
बिजली बिल क्या यूपी में समस्या है?
यूपी में बिजली की बिल भी एक समस्या है, ऐसा 45% लोगों का मानना है। जबकि 55% का कहना है- यह कोई समस्या नहीं है।
उत्तर प्रदेश के इन 6 रीजन हुआ सर्वे...
एक नजर में यूपी का राजनीतिक इतिहास...
यूपी में अभी तक 20 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। सबसे अधिक बार कांग्रेस ने 8 बार यहां शासन किया, जबकि 2 बार चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय क्रांति दल और एक बार जनता पार्टी की सरकार रही। एक बार जनता दल और 3 बार समाजवादी पार्टी की सरकार रही। 3 बार बीजेपी जबकि 4 बार बसपा की सरकार रह चुकी है। सबसे अधिक 4 बार मुख्यमंत्री मायावती रहीं। जबकि कांग्रेस के चंद्रभानु गुप्ता, नारायण दत्त तिवारी व समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव 3-3 बार सीएम रहे। चौधरी चरण सिंह व भाजपा के कल्याण सिंह 2-2 बार यूपी की कमान संभाल चुके हैं। यूपी में 17 वीं बार 2017 में विधानसभा का गठन हुआ। योगी आदित्यनाथ 20वें मुख्यमंत्री बने। वह बीजेपी के चौथे सीएम हैं। भारतीय जनता पार्टी की यूपी में 3 बार सरकार बनी लेकिन पहली बार बीजेपी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही है।
2017 में बीजेपी ने हासिल की थी एकतरफा जीत
2017 विधानसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी गठबंधन ने 403 सीटों में 325 सीटें जीती थी। बीजेपी को 312, अपना दल को 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि सपा ने 47 और कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। बसपा को 19 सीटें मिली थी जबकि राष्ट्रीय लोकदल को 1 सीट। निषाद पार्टी और निर्दलीय से 1-1 विधायक जीते थे।
बीते विधानसभा में सपा-बसपा के मुकाबले बीजेपी को मिला था डबल वोट
वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी गठबंधन को 41.35% जिसमें बीजेपी का अकेले 39.67 प्रतिशत वोट था। सपा को 21.82 प्रतिशत, बसपा को 22.23 प्रतिशत जबकि कांग्रेस को 6.25 प्रतिशत वोट मिला था।
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