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4 दिन बाद मिला प्रेग्नेंट पत्नी का शव, अर्थी को कंधा देने वाले नहीं मिले तो 1137 KM दूर गांव लेकर आया शख्स
बलरामपुर (Uttar Pradesh) । नौ माह की प्रेग्नेंट पत्नी की उपचार के दौरान लुधियाना में मौत हो गई। चिकित्सकों ने एहतियातन कोविड-19 की जांच कराई, जिसकी चार दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव आई, तब शव परिवार को सौंपा। लॉकडाउन और आर्थिक तंगी के कारण पति ने वहीं पर पत्नी का अंतिम संस्कार करने के लिए सामान एकत्र किया, लेकिन, वहां आस-पास के पड़ोसियों ने उसकी पत्नी की अर्थी को कंधा देने से मना कर दिया। आखिरी समय में पत्नी के शव को कंधे न दे पाने वाले मिलने पर वह दुःखी हो गया। इसके बाद उसने 27 हजार रुपए कर्ज लेकर 1,137 किमी दूर एंबुलेंस से पत्नी का शव गांव लाया और अंतिम संस्कार किया। हालांकि यहां प्रधान की सूचना पर प्रशासन ने लुधियाना से शव के साथ आए उसके तीन मासूम बच्चों को क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया है।
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बलरामपुर के कठौवा गांव निवासी दद्दन अपनी पत्नी गीता और तीन बच्चों के साथ लुधियाना में रहकर मजदूरी करता था। उसकी पत्नी गीता 9 माह के गर्भ से थी। 26 अप्रैल को अचानक उसकी गर्भवती पत्नी की तबियत खराब हो गई। वह उसे अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल प्रशासन ने एहतियातन पत्नी की कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए सैंपल लैब को भेजा। साथ ही शव को अपनी कस्टडी में ले लिया। 30 अप्रैल को कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद शव उसे सौंपा।
लॉकडाउन के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे दद्दन ने पहले शव का अंतिम संस्कार लुधियाना में करने का निर्णय लिया। लेकिन, वहां पड़ोसियों ने कोरोना और लॉकडाउन के कारण शव को कंधा देने से हाथ खड़े कर दिए।
सोचने समझने के बाद उसने पत्नी का अंतिम संस्कार गांव में ले जाकर करने का निर्णय लिया। लेकिन, उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह पत्नी का शव गांव तक ला सके। इसके लिए दद्दन ने अपने कुछ संबंधियों से 27 हजार रुपए कर्ज लिए और एम्बुलेंस का इंतजाम किया।
एंबुलेंस का इंतजाम होने पर वह पत्नी का शव लेकर 1137 किलोमीटर का सफर तय करने के लिये अपने गांव निकल पड़ा। ये सफर जितना लंबा था, उससे कहीं अधिक पत्नी से जुदाई का गम था।
20 घंटे लगातार सफर के बाद अपने गांव कठौवा पहुंचा। जहां उसने पत्नी के शव का अंतिम संस्कार किया।
प्रधान ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को प्रवासी मजदूर के गांव आने की सूचना दी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दद्दन और उसके तीन मासूम बच्चों मधु (7) सुमन (6) और शिवम (5) को गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया है।