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क्या गंगाजल में कोरोना से लड़ने की ताकत है? राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने ICMR से की ऐसी मांग

लखनऊ (Uttar Pradesh) ।  गंगा सफाई के काम की निगरानी करने वाली सरकारी संस्था राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने अब अनोखी पहल की है। संस्था यह जानने की कोशिश में लगी है कि क्या गंगा जल में कोरोना से लड़ने की ताकत है, क्योंकि मान्यता है कि गंगा का पानी कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है। गंगा के ऊपरी भाग के पानी में पाए जाने वाले बक्टेरियोफेजेस में बैक्टेरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता मानी जाती है, जबकि कोरोना एक वायरस यानि विषाणु है। इसके लिए मिशन ने देश में चिकित्सा रिसर्च की सबसे बड़ी संस्था आईसीएमआर (इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ) को पत्र भेजा है।

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Asianet News Hindi
Published : May 03 2020, 01:17 PM IST| Updated : May 03 2020, 01:22 PM IST
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सरकारी संस्था राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 28 अप्रैल को आईसीएमआर को पत्र भेजा है, जिसमें आईसीएमआर से गंगा के खासकर ऊपरी भाग के उन गुणों के वैज्ञानिक रिसर्च करने का आग्रह किया है।

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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की मंशा है कि इस रिसर्च से यह पता लगाया जा सकता है कि इसके पानी में कोरोना जैसे विषाणुओं को खत्म करने की क्षमता है या नहीं ? ख़ासकर नदी के ऊपरी या पहाड़ी भागों में ऐसे तत्व मौजूद हैं या नहीं ? 

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पत्र में कहा गया है कि नागपुर स्थित नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि एनआईआरआई पहले से ही गंगा नदी के पानी के ' विशेष गुणों ' को लेकर एक अध्ययन कर रहा है और इसकी एक रिपोर्ट आ चुकी है। 

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खबर है कि इन कार्यकर्ताओं के पत्र मिलने के बाद 24 अप्रैल को गंगा मिशन के अधिकारियों ने एनआईआरआई के वैज्ञानिकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बैठक की। 
 

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बताया जा रहा है कि बैठक में ज्यादातर वैज्ञानिकों की राय थी कि गंगा के पानी में ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो बैक्टेरिया जनित बीमारियों से लड़ सकते हैं।
 

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वैज्ञानिकों का यह तर्क है कि गंगा जल में मौजूद बक्टेरियोफेजेस में बैक्टेरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता मानी जाती है। हालांकि कोरोना एक वायरस यानि विषाणु है। इसलिए इसका अध्ययन करवाना ज़रूरी है कि क्या पानी में वायरस यानि विषाणुओं से भी लड़ने की ताकत है।
 

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वैज्ञानिकों ने ये माना कि गंगा के पानी में वायरस जनित रोगों से लड़ने के लिए जरूरी रोधी क्षमता के विकास की संभावना बाकी नदियों के पानी की अपेक्षा कहीं ज़्यादा है। 

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