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Manish Gupta Case: SIT ने 6 दिन बाद होटल में सीन री-क्रिएट किया, सवालों के आगे कर्मचारियों के छूटे पसीने
गोरखपुर। कानपुर (Kanpur) के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर (property dealer) मनीष गुप्ता की मौत मामले (Manish Gupta death Case) में 6 दिन बाद शनिवार को एसआईटी (SIT) की टीम घटनास्थल कृष्णा पैलेस होटल (Krishna palace Hotel) पहुंची। यहां टीम ने 3 घंटे तक सीन री-क्रिएट (Recreated Scene) किया। कर्मचारियों (Hotel Workers) से पूछताछ की और सवालों के जवाब तलाशे। टीम जानना चाह रही थी कि मनीष की मौत एक हादसा है या फिर हत्या? घटना के वक्त के सीसीटीवी फुटेज (CCTV cctv footage) भी देखे गए। इस केस को सरकार (Yogi government) ने सीबीआई (CBI) को सौंपने की सिफारिश की है। जब तक सीबीआई (CBI) के हाथ में मामला नहीं आता, तब तक एसआईटी (SIT) जांच करती रहेगी।
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जानकारी के मुताबिक, कानपुर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) शनिवार शाम करीब 4 बजे कैंट होटल कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 में पहुंची। यहां गोरखपुर फोरेंसिक टीम से बातचीत की और घटना के संबंध में जानकारी ली। इसके बाद कानपुर फोरेंसिक एक्सपर्ट ने सीन री-क्रिएशन किया। SIT ने यह जाना कि 27 सितंबर की रात 12 बजे के बाद पुलिस वाले होटल के कमरे तक कैसे आए होंगे? किस तरह गेट खुलवाया होगा, इसके बाद अंदर कौन-कैसी स्थिति में था और फिर कैसे- क्या हुआ? घटना की तह तक जाने के लिए SIT ने करीब 3 घंटे का वक्त लिया और सीन को-रीक्रिएट किया।
SIT ने घटना की रात ड्यूटी करने वाले कृष्णा पैलेस के सभी कर्मचारियों को बुलाया और उनसे पूछताछ की। कर्मचारियों से पूछा गया कि रात में कितने बजे रामगढ़ताल पुलिस होटल पहुंची? क्या बोलकर जांच करने के लिए बोला? कमरे में अंदर कौन-कौन गया था, बाहर कौन-कहां खड़ा था? मनीष के दोस्तों से इंस्पेक्टर और दरोगा की क्या बात हुई? मनीष की पुलिस से क्या बातचीत हुई थी? पुलिस कितनी देर तक होटल में रही, आखिर उस रात मारपीट की वजह क्या रही? वह कौन-सी बात थी कि हालात बिगड़ गए? इन सारे सवालों के जवाब जानने की कोशिश की गई।
SIT ने पूरी जांच के दौरान रामगढ़ताल पुलिस का सहयोग नहीं लिया। सुरक्षा व्यवस्था में कैंट थाने की पुलिस को लगाया गया था। हालांकि, रामगढ़ताल पुलिस के कब्जे से डीवीआर मंगाने के लिए एक दरोगा को बुलाया गया था। इसके बाद वह वापस लौट गया। SIT में अपर पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश लीड कर रहे थे। उनके साथ एडिशनल डीसीपी वेस्ट बृजेश कुमार श्रीवास्तव, इंस्पेक्टर, फोरेंसिक टीम और अन्य पुलिस टीम थी।
कानपुर के बर्रा निवासी कारोबारी मनीष गुप्ता और गुरुग्राम के उनके दो दोस्त हरवीर और प्रदीप 27 सितंबर को गोरखपुर आए थे। ये तीनों युवक तारामंडल इलाके में होटल कृष्णा पैलेस में ठहरे। रात 12 बजे पुलिस यहां चेकिंग करने के लिए पहुंची। कमरे की तलाशी ली गई। इस पर मनीष ने आपत्ति जताई तो पुलिस से उनका विवाद हो गया। आरोप है कि पुलिस वालों ने पिटाई कर दी, जिससे उनकी मौत हो गई। शुरुआत में पुलिस ने नशे में गिरने से मौत बताया। बाद में मामला बढ़ा तो केस दर्ज किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनीष के शरीर और शरीर पर चोट के निशान मिले। पत्नी मीनाक्षी की तहरीर पर पुलिस ने तीन नामजद और तीन अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया।
• 29 सितंबर को रामगढ़ताल थाने के निवर्तमान इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, फलमंडी चौकी प्रभारी रहे अक्षय मिश्रा समेत 6 पुलिसवालों पर केस।
• एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा। गिरफ्तारी के लिए चार स्पेशल टीमें गठित की।
• पत्नी मीनाक्षी ने गोरखपुर पुलिस पर सवाल किए। कानपुर पुलिस से जांच कराने की मांग की। मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच को कानपुर पुलिस को सौंपी गई।
• कानपुर पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने जांच के लिए SIT बनाई। 6 दिन बाद SIT जांच के लिए गोरखपुर पहुंची।
• SIT ने विवेचना कर रहे क्राइम ब्रांच गोरखपुर के इंस्पेक्टर दिलीप पांडेय से भी जानकारी ली। अब तक मिले तथ्य और अन्य साक्ष्य लिए।
• गोरखपुर फोरेंसिक टीम ने भी अपनी जांच रिपोर्ट SIT से शेयर की है।