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6 साल बाद भी लोग नहीं भुला पाए केदारनाथ की तबाही: PHOTOS

लखनऊ. केदारनाथ आपदा के 6 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन आज भी लोग जब केदरानाथ की तबाही को याद करते हैं तो सिहर जाते हैं। वो एक ऐसा मंजर था, जो आज भी लोगों के अंदर नासूर बनकर चुभता रहता है। उस तबाही में ना जानें कितने लोगों ने अपने परिवार को खो दिया था। आज जब कभी भी उत्तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ आती है तो लोगों में वही डर दिखाई देता है। केदारनाथ की घटना 2013 में घटित हुई थी। 

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Asianet News Hindi
Published : Aug 18 2019, 03:27 PM IST
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16-17 जून, 2013 की वो बारिश कोई कैसे भूल सकता है। इस दिन बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मचाई थी।
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केदारनाथ में मंदाकिनी नदी इतनी उफान पर थी कि आपदा में 4400 से अधिक लोगों को बहा ले गई थी और हजारों संख्या में लोगों ने केदार धाम पर अपनी जान गवां दी थी। करीब 11091 से ज्यादा मवेशियों बाढ़ में बह गए और मलबे में दबकर मर गए। वहीं ग्रामीणों की 1309 हेक्टेयर जमीन बाढ़ में बह गई थी।
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भारतीय जवानों और पुलिस ने मिलकर करीब 1,20,000 लोगों को हेलिकॉप्टर और अन्य तरीकों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था।
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आपदा से पहले गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाला पैदल रास्ता रामबाड़ा और गरुड़चट्टी से होकर गुजरता था लेकिन मंदाकिनी की उफनती लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म कर दिया था। तबाही में यह रास्ता भी तबाही की भेंट चढ़ गया था। इसके बाद 2014 में यात्रा बदल दिया गया था और चट्टी सूनी हो गई।
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2017 में केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों ने जोर पकड़ा तो गरुड़चट्टी को संवारने की कवायद भी शुरू हुई। अक्टूबर 2018 में रास्ता तैयार कर लिया गया और एक बार फिर से भोले के जय जयकारों से ये रास्ता गूंजा।
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक वित्त पोषित उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत 2700 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृत हुए। इनमें से 2,300 करोड़ रुपये की राशि से सड़कों, पुलों, पहाड़ियों के ट्रीटमेंट, बेघर लोगों के आवासों का निर्माण किया गया। प्रोजेक्ट के तहत 2,382 भवनों का निर्माण किया गया।
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अक्टूबर 2017 में केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों का शिलान्यास करने पहुंचे मोदी ने चट्टी को आबाद करने की इच्छा जताई थी। केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में शुमार है। पीएमओ समय-समय पर पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति पर रिपोर्ट भी लेता है।

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