- Home
- States
- Uttar Pradesh
- बरसाना की गलियों में लुटाए गए 5 टन लड्डू, बरसाने की सखियों के साथ नंदगांव के हुरियारों ने खेली होली
बरसाना की गलियों में लुटाए गए 5 टन लड्डू, बरसाने की सखियों के साथ नंदगांव के हुरियारों ने खेली होली
| Published : Mar 03 2020, 05:40 PM IST / Updated: Mar 03 2020, 05:51 PM IST
बरसाना की गलियों में लुटाए गए 5 टन लड्डू, बरसाने की सखियों के साथ नंदगांव के हुरियारों ने खेली होली
Share this Photo Gallery
- FB
- TW
- Linkdin
15
श्रीजी के धाम बरसाना में लठामार होली से ठीक एक दिन पहले भक्तों पर अबीर-गुलाल की तरह लड्डू होली खेली जाती है। माना जाता है कि विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली से पहले लड्डू होली माहौल में मिठास घोलती हैं। नंदगांव से होली खेलने के लिए बरसाना आने का आमंत्रण स्वीकारने की परंपरा इस होली से जुड़ी हुई है।
25
लड्डू होली शुरू होने की एक रोचक कहानी है। उसी से ये पूरी प्रथा जुडी हुई है। बताया जाता है द्वापर युग में बरसाने से होली खेलने का आमंत्रण लेकर सखी नंदगांव गई थी। इस निमंत्रण को नन्दबाबा ने स्वीकार किया और इसकी खबर अपने पुरोहित के माध्यम से बरसाना में बृषभान जी के यहां भेजी। इस पर बृषभान ने नन्दगांव से आये पुरोहित को खाने के लिए लड्डू दिए। उसके बाद बरसाने की गोपियों ने पुरोहित के गालों पर गुलाल लगा दिया।पुरोहित के पास उस समय गुलाल तो था नहीं इसलिए उन्होंने जो लड्डू उन्हें खाने को आए थे उसी से होली खेलना शुरू कर दिया। तभी से ये लड्डू होली की प्रथा चली आ रही है।
35
मंगलवार को लाड़ली जी के महल में लड्डुओं की होली खेली गई। इस होली का आनंद लेने के लिए देश-विदेश से लाखों भक्त बरसाना पहुंचे थे। लड्डू होली खेलने के बाद इस आमंत्रण के माध्यम से चार मार्च को नंदगांव के हुरियारे बरसाने की हुरियारिनों से लट्ठमार होली खेलने पहुंचेंगे। मथुरा की लट्ठमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
45
मथुरा में दुकानदार सप्ताह भर पहले से ही लड्डू बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। दरअसल यहां देश विदेश से आने वाले लोग लड्डू खरीदकर होली में शामिल होते हैं। मथुरा के मिठाई दुकानदार आलोक कसौधन के मुताबिक बरसाना की लड्डू होली में तकरीबन 5 टन लड्डू लुटाए गए होंगे। इसका कोई वस्तविक आंकड़ा तो नहीं है लेकिन जिस हिसाब से दुकानदारों ने लड्डू बनाए थे उसके अनुसार यही अनुमान लगा है।
55
बरसाने में होने वाली लड्डू होली पहले लाड़ली जी के महल तक ही सीमित थी, लेकिन अब इसका स्वरूप बढ़ गया है । साल 2000 तक लड्डू होली में इतनी भीड़ नहीं होती थी। लेकिन अब लट्ठमार होली से ठीक एक दिन पहले होने वाली लड्डू होली में देश विदेश से लोग पहुंचते हैं। वह दुकानदारों से लड्डू खरीदकर बरसाना की गलियों में हो रहे होली में लुटाते हैं।