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अयोध्या के इसी राजा ने बाबरी विध्वंस के बाद भेजी थी रामलला की मूर्ति,अब हुए राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल

अयोध्या(Uttar Pradesh ). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा कर दी। ट्रस्ट का नाम 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया है। इस ट्रस्ट में कुल 15 लोग शामिल होंगे। ट्रस्ट में अयोध्या राजघराने के राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को भी शामिल किया गया है

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Asianet News Hindi
Published : Feb 06 2020, 11:04 AM IST
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विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या राजवंश के वारिस हैं। इनका हनुमानगढ़ी जाने वाली रोड पर शानदार राजमहल है। हाल ही में इस राजमहल में जाने माने फिल्म निर्देशक प्रकाश झा की लघु फिल्म आश्रम की शूटिंग हुई है। विमलेंद्र मोहन काफी समय से राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं। साल 1992 में बाबरी विध्वंस के समय भी उन्होंने ही रामलला की मूर्ति अपने राजमहल से ही भेजी थी। विमलेंद्र मोहन राम जन्मभूमि से जुड़े हुए सभी कार्यों में शामिल रहते हैं।
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लोगों का मानना है कि कोरिया राजवंश से इस परिवार का पुराना नाता है। साउथ कोरिया के लोगों का मानना है कि 2 हजार साल पहले अयोध्या को अयुता नाम से जाना जाता था। उस समय अयोध्या के इसी राजपरिवार की राजकुमारी सुरीरत्ना कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर आई थीं। यहां उनका विवाह कोरिया के कारक वंशी राजा किम सोरो से हो गया, जिसके बाद वह कोरिया की महारानी बन गईं। विवाह के बाद उनका नाम हु ह्वांग ओक रख दिया गया। कहते हैं कि जिस वक्त राजकुमारी का विवाह हुआ, उस वक्त वो 16 साल की थीं।इसके बाद वह कभी अयोध्या नहीं लौटीं। एक लोकप्रिय दक्षिण कोरियाई किताब, समगुक युसा में इसकी कई ऐतिहासिक कहानियों और तथ्यों का जिक्र हैं। राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा होने के बाद अयोध्या के कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने राम जन्मभूमि रिसीवर का चार्ज छोड़कर बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को सौंप दिया है।
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साल 2018 में जब कोरिया गणराज्य की प्रथम महिला किम जुंग सुक अयोध्या आई थीं उस समय राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने ही उनकी अगुवाई की थी। 2000 साल पहले अयोध्या से कोरिया गई राजकुमारी सुरीरत्ना को अयोध्या के इसी राजपरिवार की थीं। इसलिए विमलेंद्र मोहन को उनके स्वागत व अगुवाई के लिए बुलाया गया था।
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अयोध्या के राजा दर्शन सिंह के बाद विमलेंद्र उनके राजवंश को आगे बढ़ा रहे हैं। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र दो भाई हैं उनके छोटे भाई शैलेन्द्र मोहन प्रताप हैं। लेकिन विमलेंद्र बड़े हैं इसलिए उन्हें ही अयोध्या का राजा माना जाता है। विमलेंद्र के बेटे यतीन्द्र मोहन प्रताप मिश्र हैं। यतीन्द्र समाजसेवी व साहित्यकार हैं।
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विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने साल 2009 में बीएसपी ज्वाइन की थी। उन्हें बसपा ने 2009 में अपना लोकसभा प्रत्याशी बनाया था। हांलाकि उन्हें इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। उसके बाद से उन्होंने पार्टी छोड़ दिया और फिर कभी किसी राजनैतिक दल को ज्वाइन नहीं किया।

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