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ताजमहल बनाने वाले मजदूरों ने जानबूझकर की थी एक गलती, जानें Taj के ये रेयर Facts
आगरा (Uttar Pradesh). अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पत्नी मोनलिया के साथ 24 फरवरी को ताज का दीदार करेंगे। ऐसे में ताज को चमकाने का काम किया जा रहा है। इसी क्रम में 368 साल में पहली बार ताज में बनी शाहजहां और मुमताज की कब्र को मडपैक ट्रीटमेंट यानी मुल्तानी मिट्टी के जरिए चमकाने की कोशिश की जा रही है। आज हम आपको ताज महल के से जुड़े कुछ रेयर और इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं। यह जानकारी इतिहासकार राज किशोर राजे ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में दी थी।
| Published : Feb 21 2020, 03:46 PM IST
ताजमहल बनाने वाले मजदूरों ने जानबूझकर की थी एक गलती, जानें Taj के ये रेयर Facts
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ताज 50 कुओं के ऊपर बना है। उसका पूरा वजह इन्हीं कुओं के ऊपर टिका है।
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ये बात काफी फेमस है कि शाहजहां ने ताज बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवाने के आदेश दिए थे। जिससे नाराज मजदूरों ने ताज बनाने में एक कमी कर दी। ताज की छत में एक छेद कर दिया, ताकि कुछ कमी रह सके।
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दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचा है ताज। कुतुब मीनार की लंबाई 239 फीट है। जबकि ताज की लंबाई 243.5 फीट है।
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सबसे खास बात है कि ताज का बेस एक लकड़ी है, जोकि नमी के कारण और मजबूत होती है। ताज के बगल में बहने वाली यमुना नदी इस लड़की को मजबूती देती है।
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1648 में बने ताजमहल को 22 साल में 20 हजार मजदूरों बनाकर तैयार किया। इस दौरान मजदूरों को एनर्जी देने के लिए चाशनी में पेठा डूबोकर खिलाया जाता था।
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ताज को उस समय बनाने में करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च हुए। वंडरलिस्ट डॉट कॉम के मुताबिक, अगर आज ताज महल बनाया जाए तो इसमें करीब 6800 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत आएगी।
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ताजमहल जयपुर के महाराजा जयसिंह की जमीन पर बना है। इसके बदले शाहजहां ने महाराजा को एक महल दिया था।
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1971 में जब भारत पाक के बीच युद्ध हुआ तो ताज को हरे कपड़े से ढक दिया गया था। ताकि ताज हरियाली में खो जाए और उसे कोई नुकसान न पहुंचा सके।
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ताज को 28 तरह के पत्थर से मिलाकर बनाया गया है। ये अलग अलग देशों से मंगाए गए थे। हरिताश्म, क्रिस्टल-चीन, फीरोजा-तिब्बत, लैपिज लजूली-अफगानिस्तान, नीलम-श्रीलंका और इंद्रगोप-अरब से मंगाया गया था।
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1942 में ताज को जर्मन-जापानी हवाई हमले से बचाने के लिए बांस-बल्लियों से सुरक्षा कवच बनाया गया था। ताकि विमानों को चकमा दिया जा सके।
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ताज में पर्यटकों को जो कब्र दिखती है वो शाहजहां और मुमताज की असली कब्र नहीं है। असली क्रब ताज के तहखाने में मौजूद है, जिसका दरवाजा साल में सिर्फ एक बार खोला जाता है। इसके ऊपर की गई नक्काशी नकली कब्र की तुलना में बेहद साधारण है। मुमताज महल की असली कब्र पर अल्लाह के 99 नाम उकेरे गए हैं। इनमें से कुछ हैं, 'ओ नीतिवान, ओ भव्य, ओ राजसी, ओ अनुपम…'वहीं, शाहजहां की कब्र पर उकेरा गया है, 'उसने हिजरी के 1076 साल में रज्जब के महीने की छब्बीसवीं तिथि को इस संसार से नित्यता के प्रांगण की यात्रा की।'